Class 12 Hindi Chapter 6 बादल राग

अभ्यास

कविता के साथ

  1. 'अस्थिर सुख पर दुख की छाया' पंक्ति में 'दुख की छाया' किसे कहा गया है और क्यों?

उत्तर अस्थिर सुख का आशय उस सुख से है, जो सुविधासंपन्न लोगों का है। सुविधाभोगी वर्ग अपने सुख से अधिक भविष्य के प्रति सचेष्ट रहता है। यह वर्ग किसी भी सामाजिक परिवर्तन अथवा क्रांति से भयभीत रहता है। इस भय के कारण ही दुख की छाया आच्छादित हो जाती है तथा सुख अस्थिर बनकर दुख का कारण बन जाता है।

  1. 'अशनि-पात से शापित उन्नत शत-शत वीर' पंक्ति में किसकी ओर संकेत किया गया है?

उत्तर 'अशनि-पात से शापित उन्नत शत-शत वीर' पंक्ति में कवि ने क्रांति के विरोधी पूँजीपति-सामंती वर्ग की ओर संकेत किया है। कवि मानता है कि जिस प्रकार क्रांति का प्रतिनिधि बादल अपने प्रहार से उन्नत पहाड़ की चोटियों को अपने वज्राघात से क्षत-विक्षत कर सकता है, उसी प्रकार समाज के शोषित वर्ग की क्रांतिकारी चेतना शोषक पूँजीवादी-सामंती शक्तियों को अपने प्रहार से ध्वस्त कर सकती है। जिस प्रकार अशनि-पात से पर्वत की चोटियाँ क्षत-विक्षत होती हैं, उसी प्रकार क्रांति के प्रहार से बड़े-बड़े धनपशु भी धराशायी हो जाते हैं।

  1. 'विप्लव-रव से छोटे ही हैं शोभा पाते' पंक्ति में 'विप्लव-रव' से क्या तात्पर्य है? 'छोटे ही हैं शोभा पाते' ऐसा क्यों कहा गया है?

उत्तर 'विप्लव-रव' का तात्पर्य है-क्रांति। सामाजिक क्रांति परिवर्तन के लिए होती है। ऐसे परिवर्तन समाज के कमजोर, वंचित तथा शोषण के शिकार लोगों को नई दिशा देने में सक्षम होते हैं। क्रांति से समाज के पिछड़े लोगों को आगे आने का मौका मिलता है।

  1. बादलों के आगमन से प्रकृति में होने वाले किन-किन परिवर्तनों को कविता रेखांकित करती है?

उत्तर बादलों के आगमन से गर्मी से तपी-झुलसी धरती नया रूप ग्रहण करती है। गर्मी के कारण अकाल की चिंता से व्याकुल किसानों को राहत मिलती है। धरती के भीतर सोए अंकुर नवजीवन की आशा में सिर ऊँचा कर अपनी उपस्थिति दर्ज कराते हैं।

व्याख्या कीजिए

  1. तिरती है समीर-सागर पर अस्थिर सुख पर दुख की छाया जग के दरध हृदय पर निर्दय विप्लव की प्लावित माया

उत्तर कवि के अनुसार वायु रूपी सागर पर बादल तैर रहे हैं। वे इस प्रकार से घुमड़-घुमड़ कर आकाश में आच्छादित हैं जैसे अस्थायी सुखों पर दुःखों की काली छाया मंडरा रही है। वे इस संसार के दुःखी हृदयों पर विनाशकारी खेल खेल रहे हैं। उनके छल का ऐसा विनाशकारी स्वरूप देखकर ऐसा लगता है कि सारी सृष्टि को उनकी क्रूरता को झेलना पड़ेगा अर्थात् इस संसार में शोषक वर्ग शोषित वर्ग का शोषण कर रहा है। इस शोषित वर्ग के जीवन में दुःख, अभाव व पीड़ा विद्यमान है। ऐसे में बादल क्रांतिदूत बनकर शोषक वर्ग व शोषण की पीड़ा को डुबा डालना चाहते हैं।

  1. अट्टालिका नहीं है रे

आतंक-भवन

सदा पंक पर ही होता

जल-विप्लव-प्लावन

उत्तर कवि कहता है कि ये ऊँचे-ऊँचे भवन व इमारतें वास्तव में इतने ऊँचे व महान् नहीं हैं। ये तो अनेक मजदूरों के शोषण व उनकी मेहनत के परिणाम हैं। ये तो भय और त्रास के जनक हैं। इनमें निवास करने वाले पूँजीपति सदैव भयभीत रहते हैं। जल की विनाशलीला तो सदा पंक पर ही होती है। पंक में बाढ़ और विनाश का दृश्य उपस्थित होता है अर्थात् क्रांति का जन्म तो समाज के निम्न वर्ग में ही होता है। समाज का यही सर्वहारा वर्ग क्रांति द्वारा परिवर्तन लाता है।

कला की बात

  1. पूरी कविता में प्रकृति का मानवीकरण किया गया है। आपको प्रकृति का कौन-सा मानवीय रूप पसंद आया और क्यों?

उत्तर मुझे प्रकृति का यह स्वरूप पसंद आया जब बादलों के आगमन से प्रकृति में मूसलाधार जलवृष्टि होती है और उससे मन में आशा का संचार हो जाता है। धरती के भीतर सुप्त अंकुर अपना सिर ऊँचा करके बादलों को ताकने लगते हैं। नन्हें पौधे अपनी प्रसन्नता हाथ हिलाकर अभिव्यक्त करते हैं क्योंकि जब भी विप्लव होता है तो उसका श्रेष्ठ परिणाम नन्हें, लघुरूप पौधों को ही प्राप्त होगा।

  1. कविता में रूपक अलंकार का प्रयोग कहाँ-कहाँ हुआ है? संबंधित वाक्यांश को छाँटकर लिखिए।

उत्तर तिरती है समीर सागर पर यह तेरी रफ्तारी

घन भेरी गर्जन से सजग सुप्त अंकुर

विप्लव के बादल

विप्लव के वीर

जीवन के पारावार

अस्थिर सुख पर दु:ख की छाया

  1. इस कविता में बादल के लिए ऐ विप्लव के वीर!, ऐ जीवन के पारावार! जैसे संबोधनों का इस्तेमाल किया गया है। बादल राग कविता के शेष पाँच खंडों में भी कई संबोधनों का इस्तेमाल किया गया है। जैसे-अरे वर्ष के हर्ष! मेरे पागल बादल!, ऐ निबंधंध, ऐ स्वच्छंद!, ऐ उद्दाम!, ऐ सम्राट!, ऐ विप्लव के प्लावन!, ऐ अनंत के चंचल शिशु सुकुमार!

उपर्युक्त संबोधनों की व्याख्या करें तथा बताएँ कि बादल के लिए इन संबोधनों का क्या औचित्य है?

उत्तर प्रस्तुत कविता में बादल के लिए किए गए उल्लेखनीय संबोधन एवं उनके औचित्य निम्नलिखित हैं

ऐ विप्लव के वीर विप्लव का अर्थ होता है विनाश/संपूर्ण नाश अर्थात् क्रांति के अर्थ में बादलों को संबोधित करते हुए उन्हें कविता में भीषण क्रांति के प्रतीक के रूप में चित्रित किया गया है।

ऐ जीवन के पारावार पारावार का अर्थ होता है समुद्र। अर्थात् जल के सागर अर्थात् जीवनदाता। बादलों को किसानों यानि शोषितों को जीवन प्रदान करने वाले जीवनदाता के रूप में चित्रित किया गया है क्योंकि फसलों के जीवन से ही किसानों का जीवन संभव है।

रण-तरी रण-तरी का अर्थ है युद्ध की नौका। कविता में घनघोर गरजते बादलों को रण-तरी कहा गया है जो क्रांति की आकांक्षाओं से भरी है। ये बादल क्रांति को संपन्न करने के लिए अपनी नौका में कई अस्त्र-शस्त्र रखे हुए हैं, जो शोषकों यानि पूँजीपतियों की समाप्ति के लिए प्रयुक्त होंगे।

नोट बादलों के लिए प्रयुक्त अन्य संबोधनों से युक्त कविता पाठ्यक्रम में शामिल नहीं है।

  1. कवि बादलों को किस रूप में देखता है? कालिदास ने 'मेघदूत' काव्य में मेघों को दूत के रूप में देखा। आप अपना कोई काल्पनिक बिंब दीजिए।

उत्तर कवि सूर्यकांत त्रिपाठी 'निराला' ने 'बादल-राग' कविता के अंतर्गत बादल को क्रांति के प्रतिनिधि के रूप में रखा है। बादल नवजीवन के प्रतीक हैं। ग्रीष्म के भीषण ताप जैसी निरंकुशता को बादल समाप्त कर धरती के नीचे सोये अंकुर के मन में आकांक्षाओं को गति प्रदान करता है। बादल का यह रूप परंपरागत काव्य-प्रवृत्ति से पूर्णतः अलग है।

कालिदास का 'बादल' प्रेमी-प्रेमिका का महत्त्वपूर्ण संदेशवाहक है। संस्कृत काव्यों तथा परंपरागत साहित्य में 'बादल' प्रायः इसी रूप में आए हैं। निराला ने 'बादल' को किसानों का हितैषी माना है, जो अपनी बूँदें किसानों को देकर खाद्यान्न उपजाने में मदद करता है। इस प्रकार बादल भी एक श्रमजीवी है।

  1. कविता को प्रभावी बनाने के लिए कवि विशेषणों का सायास प्रयोग करता है जैसे-अस्थिर सुख। 'सुख' के साथ 'अस्थिर' विशेषण के प्रयोग ने सुख के अर्थ में विशेष प्रभाव पैदा कर दिया है। ऐसे अन्य विशेषणों को कविता से छाँटकर लिखें तथा बताएँ कि ऐसे शब्द-पदों के प्रयोग से कविता के अर्थ में क्या विशेष प्रभाव पैदा हुआ है?

उत्तर दग्ध-हृदय हृदय के साथ दग्ध लगने से मन की पीड़ा, दु:ख प्रकट हो रहा है। यातनाएँ और शोषण की अभिव्यक्ति।

निर्दय विप्लव विप्लव के साथ निर्दय लगने से वह दयाहीन और क्रूर हो गया है। सुप्त अंकुर सुप्त विशेषण बीजों का मिट्टी में दबे होने का द्योतक। घोर वज्र हुंकार हुंकार, घोर, वज्र विशेषण भयावहता का संचरण करते हैं। क्षत-विक्षत हत अचल शरीर शरीर की दुर्दशा घायल स्थिति की ओर संकेत करते हैं।

प्रफुल्ल जलज कमल की प्रसन्नता और खिलने की अभिव्यक्ति।

रुद्ध कोष रुद्ध विशेषण संचित धन की ओर संकेत करते हैं।

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