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Chapter 8 लोकतंत्र की चुनौतियाँ

In Text Questions and Answers

पृष्ठ 103

प्रश्न 1. 
इनमें से प्रत्येक कार्टून लोकतंत्र की एक चुनौती को दिखाता है। बताएँ कि वह चुनौती क्या है? यह भी बताएँ कि इस अध्याय में चुनौतियों की जो तीन श्रेणियाँ बताई गई हैं, यह उनमें से किस श्रेणी की चुनौती है?
(1) मुबारक फिर चुने गए (चित्र पाठ्यपुस्तक पृष्ठ 103)
उत्तर:
यह चुनावी प्रक्रिया है, लेकिन इसमें धनी एवं ताकतवर लोगों के प्रभाव को दर्शाया गया है। मतपेटियाँ खुले बिना ही यह तय कर लिया गया कि मुबारक फिर चुने गये।
चुनौती-लोकतंत्र की जड़ें मजबूत करने की। 

(2) लोकतंत्र पर नजर (चित्र पाठ्यपुस्तक पृष्ठ 103) 
उत्तर:
इसमें यह दिखलाया गया है कि लोकतंत्र बुलेट के प्रयोग से नहीं आता, बल्कि लोगों के समर्थन से आता है। चुनौती-लोकतंत्र के स्थापना की चुनौती। 

(3) उदारवादी लैंगिक समानता (चित्र पाठ्यपुस्तक पृष्ठ 103)
उत्तर:
यह दर्शाया गया है कि उदारवादी केवल सिद्धान्त रूप से लैंगिक समानता की बात करते हैं, जबकि व्यवहार में उदारवादी लोकतंत्रों में पुरुषों का ही बोलबाला है। वे स्वयं की पार्टी में ही महिला नेताओं को अधिक स्थान नहीं देते हैं।
चुनौती-लोकतंत्र के विस्तार की चुनौती। 

(4) चुनाव अभियान का पैसा (चित्र पाठ्यपुस्तक पृष्ठ 103)
उत्तर:
इसमें चुनाव अभियान में धन की भूमिका को दिखाया गया है। लोकतंत्र में अधिकाधिक धन खर्च कर लोगों द्वारा निर्णय प्रक्रिया को प्रभावित किया जाता है।
चुनौती-लोकतंत्र को मजबूत करने की चुनौती। 

पृष्ठ 104-105

प्रश्न 2. 
निम्नलिखित उदाहरण और संदर्भ के समक्ष दिये गए रिक्त स्थानों में लोकतंत्र की चुनौती का आपका विवरण लिखें।
उत्तर:
RBSE Solutions for Class 10 Social Science Civics Chapter 8 लोकतंत्र की चुनौतियाँ 1

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प्रश्न 3. 
अब, जबकि आपने इन सभी चुनौतियों को लिख डाला है तो आइए इन्हें कुछ बड़ी श्रेणियों में डालें। नीचे लोकतांत्रिक राजनीति के कुछ दायरों को खानों में रखा गया है। पिछले खंड में एक या एक से अधिक देशों में आपने कुछ चुनौतियाँ लक्ष्य की थीं। कुछ कार्टूनों में भी आपने इन्हें देखा। आप चाहें तो नीचे दिए गए खानों के सामने मेल का ध्यान रखते हुए इन चुनौतियों को लिख सकते हैं। इनके अलावा भारत से भी इन खानों में दिए जाने वाले एक-एक उदाहरण दर्ज करें। अगर आपको कोई चुनौती इन खानों में फिट बैठती नहीं लगती तो आप नयी श्रेणियाँ बनाकर उनमें इन मुद्दों को रख सकते हैं।
उत्तर:

संवैधानिक बनावट

प्रत्येक लोकतान्त्रिक देश का एक संविधान होता है। इस संविधान को सार्वभौमिक वयस्क मताधिकार के आधार पर चुने गये प्रतिनिधियों द्वारा बनाया जाना चाहिए। इन प्रतिनिधियों में सभी वर्गों, जातियों, धर्मों, लिंग इत्यादि सभी सामाजिक समूहों का प्रतिनिधित्व होना चाहिए।

लोकतांत्रिक अधिकार

लोकतांत्रिक अधिकार सभी लोकतांत्रिक देशों में मिलने चाहिए। परन्तु अलोकतांत्रिक देशों में यह लोकतंत्र स्थापित करने की चुनौती है।

संस्थाओं का कामकाज

लोकतांत्रिक देशों में संस्थाओं के कामकाज में सुधार करना लोकतंत्र को मजबत करने की चुनौती है और गैर-लोकतांत्रिक देशों में इसके लिए लोकतंत्र की स्थापना की चुनौती है।

चुनाव

लोकतांत्रिक देशों में चुनावों में धनबल, परिवारवाद, बाहुबल, हिंसा का प्रभाव कम करने की चुनौती-लोकतन्त्र को मजबूत करने की चुनौती है तो गैर-लोकतान्त्रिक देशों में लोकतंत्र की स्थापना की चुनौती है।

संघवाद, विकेंद्रीकरण

लोकतान्त्रिक देशों में संघवाद और विकेन्द्रीकरण लोकतंत्र के विस्तार की चुनौती है। 

विविधता को समेटना

लोकतांत्रिक देशों में यह लोकतंत्र के विस्तार की चुनौती है।

राजनीतिक संगठन

राजतंत्र और तानाशाही शासन-व्यवस्था में लोकतंत्र की स्थापना की चुनौती।

वैश्विक संस्थाओं में

वैश्विक संस्थाओं में जैसे-सुरक्षा परिषद में लोकतंत्र के विस्तार की जरूरत है।

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प्रश्न 4. 
आइए, इन श्रेणियों का नया वर्गीकरण करें। इस बार इसके लिए हम उन मानकों को आधार बनाएँगे जिनकी चर्चा अध्याय के पहले हिस्से में हुई है। इन सभी श्रेणियों के लिए कम से कम एक उदाहरण भारत से भी खोजें।
उत्तर:

आधार तैयार करने की

चीन, पाकिस्तान, इराक, सऊदी अरब, नेपाल आदि।

चुनौतियाँ

भारत से उदाहरण देश के कुछ केन्द्रशासित प्रदेशों को पूर्ण राज्य का दर्जा देना।

विस्तार की चुनौती

मैक्सिको, इराक, यूगोस्लाविया, श्रीलंका तथा आयरलैण्ड।

भारत से उदाहरण-विधानसभाओं तथा संसद में महिलाओं को अधिक प्रतिनिधित्व देना। स्थानीय सरकारों को और अधिक स्वायत्तता तथा संसाधन उपलब्ध कराना। जाति, धर्म, रंग, लिंग आदि के आधार पर कोई भेदभाव न होना।

लोकतंत्र को गहराई तक

अन्तर्राष्ट्रीय संगठन, अमेरिका-गुआंतनामो खाड़ी, बेल्जियम, दक्षिण अफ्रीका तथा पाकिस्तान।

मजबूत बनाने की चुनौती

भारत से उदाहरण लोकतांत्रिक संस्थाओं के कामकाज पर धन तथा अपराधीतंत्र के प्रभाव को समाप्त करना; किसी एक पदाधिकारी के पास शक्ति के दुरुपयोग की स्थिति न होना तथा जनता की भागीदारी व नियंत्रण शक्ति को बढ़ाना तथा चुनाव आयोग को और अधिक अधिकार प्रदान करना।

प्रश्न 5. 
आइए, अब सिर्फ भारत के बारे में विचार करें। समकालीन भारत के लोकतंत्र के सामने मौजूद चुनौतियों पर गौर करें। इनमें से उन पाँच की सूची बनाइए जिन पर पहले ध्यान दिया जाना चाहिए। यह सूची प्राथमिकता को भी बताने वाली होनी चाहिए यानी आप जिस चुनौती को सबसे महत्वपूर्ण और भारी मानते हैं उसे सबसे ऊपर रखें। शेष को इसी क्रम से बाद में। ऐसी चुनौती का एक उदाहरण दें और बताएँ कि आपकी प्राथमिकता में उसे कोई खास जगह क्यों दी गई है।
अथवा
भारतीय लोकतंत्र के समक्ष वर्तमान में प्रस्तुत चुनौतियों को रेखांकित कीजिए।
उत्तर:

पृष्ठ 112

प्रश्न 6. 
अच्छे लोकतंत्र को परिभाषित करने के लिए यह रही आपके लिखने की जगह। 
(अपना नाम लिखें)…अ…..ब…स…. की अच्छे लोकतंत्र की परिभाषा [ अधिकतम 50 शब्दों में ]
उत्तर:
लोकतंत्र शासन का वह स्वरूप है जिसमें लोग अपने शासकों को स्वयं चुनते हैं; लोगों को चुनाव में प्रतिनिधियों को चुनने में पर्याप्त विकल्प मिलते हैं। ये निर्वाचित प्रतिनिधि ही शासन के सारे निर्णय लेते हैं तथा वे संविधान के मूलभूत नियमों और नागरिकों के अधिकारों को मानते हुए शासन कार्य करते हैं।

प्रश्न 7. 
लोकतंत्र की विशेषताएँ सिर्फ बिंदुवार लिखें। जितने बिन्दु आप बताना चाहें उतने बता सकते हैं। इसे कम से कम बिन्दुओं में निपटाने का प्रयास करें।
अथवा 
लोकतंत्र के लक्षण अथवा विशेषताओं का वर्णन कीजिए।
अथवा 
लोकतंत्र का क्या अर्थ है? इसकी विशेषताओं का वर्णन कीजिए। 
उत्तर:
लोकतंत्र का अर्थ-इसके लिए पूर्व प्रश्न का उत्तर देखें।
लोकतंत्र की विशेषताएँ 

  1. जनता का शासन- लोकतंत्र जनता का शासन है जिसमें जनता देश का शासन चलाने के लिए सार्वभौमिक वयस्क मताधिकार के आधार पर अपने प्रतिनिधियों को चुनती है।
  2. संविधान- प्रत्येक लोकतंत्र में एक औपचारिक संविधान होता है जिसे समाज के सभी हिस्से के प्रतिनिधियों द्वारा बनाया जाता है। इस संविधान के नियमों के आधार पर ही सरकार का गठन होता है तथा सरकार अपनी शक्तियाँ ग्रहण करती है।
  3. नियतकालीन निष्पक्ष तथा स्वतंत्र चुनाव- लोकतंत्र में एक निश्चित समय के बाद चुनाव कराये जाते हैं। ये चुनाव निष्पक्ष तथा स्वतंत्र होते हैं।
  4. मूल अधिकार- प्रत्येक लोकतंत्र में नागरिकों को कुछ मूलभूत अधिकार प्रदान किये जाते हैं।
  5. सामाजिक तथा धार्मिक समानता- लोकतंत्र में कानून निर्माण में अल्पसंख्यकों तथा विविध सामाजिक समूहों की आवश्यकताओं तथा गरिमा को ध्यान में रखा जाता है। उनके हितों की उपेक्षा नहीं की जाती है। जाति, धर्म, लिंग, वंश आदि के आधार पर किसी व्यक्ति के साथ कोई भेदभाव नहीं किया जाता।
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