Chapter 9 सप्तभगिन्यः

पाठ-परिचय – ‘सप्तभगिनी’ यह एक उपनाम है। उत्तर-पूर्व के सात राज्य विशेष को उक्त उपाधि दी गयी है। इन राज्यों का प्राकृतिक सौन्दर्य अत्यन्त विलक्षण है। इन्हीं के सांस्कृतिक और सामाजिक वैशिष्ट्य को ध्यान में रखका प्रस्तुत पाठ का सृजन किया गया है। 

पाठ के नाट्यांशों के कठिन शब्दार्थ एवं हिन्दी-अनुवाद – 

1. अध्यापिका-सुप्रभातम् …………………………………….. केन्द्रशासितप्रदेशाः अपि सन्ति। 

कठिन-शब्दार्थ : 

हिन्दी अनुवाद – 

अध्यापिका – सुबह की नमस्कार। 
छात्राएँ – सुप्रभात। सुप्रभात। 
अध्यापिका – ठीक है। आज क्या पढ़ना है? 
छात्राएँ – हम सब अपने देश के राज्यों के विषय में जानना चाहती हैं। 
अध्यापिका – सुन्दर (ठीक है)। बोलो। हमारे देश में कितने राज्य हैं? 
सायरा – महोदया ! चौबीस। सिल्वी-नहीं, नहीं महोदया! पच्चीस राज्य हैं। 
अध्यापिका – अन्य कोई भी? 
स्वरा – (बीच में ही) महोदया ! मेरी बहिन कहती है कि हमारे देश में अट्ठाईस राज्य हैं। इनके अतिरिक्त सात     केन्द्र-शासित प्रदेश भी हैं। 

2. अध्यापिका-सम्यग्जानाति ……………………….. बृहत्तराणि प्रतीयन्ते। 

श्लोकस्य अन्वयः – अद्वयं तथा मत्रयं चैव न-त्रि-युक्तं द्वयम्। सप्त-राज्यसमूहः अयं भगिनीसप्तकं मतम्। 

कठिन-शब्दार्थ : 

हिन्दी अनुवाद – 

अध्यापिका – तुम्हारी बहिन अच्छी प्रकार से जानती है। ठीक है, क्या तुम जानते हो कि इन राज्यों में सात राज्यों का एक समूह है जो ‘सात बहिन’ इस नाम से प्रसिद्ध है। 
सभी – (आश्चर्यपूर्वक आपस में देखते हुए) सात बहिनें? सात बहिनें? निकोलस-ये राज्य ‘सात बहिनें ऐसा क्यों कहे जाते हैं? 
अध्यापिका – यह प्रयोग सांकेतिक है। सम्भवतः सामाजिक और सांस्कृतिक परिदृश्यों की समानता के कारण ये उक्त उपाधि (सात बहिनें) के नाम से प्रसिद्ध है। 
समीक्षा – मेरा कौतूहल शान्त नहीं हो रहा है, यह सुनाइये कि वे सात राज्य कौन से हैं? 
अध्यापिका – सुनिये। 
अकार दो और मकार तीन तथा दो नकार व त्रिकार से युक्त। सात राज्यों का समूह ‘सात बहिनें’ माना गया है। इस प्रकार ‘सप्त बहिनों’ में ये राज्य हैं-अरुणाचलप्रदेश, असम, मणिपुर, मिजोरम, मेघालय, नागालैण्ड और त्रिपुरा। यद्यपि क्षेत्रफल से ये छोटे राज्य हैं, फिर भी गुण और गौरव की दृष्टि से बड़े प्रतीत होते हैं। 

3. सर्वे- कथम्? ……………………………….. किमपि वैशिष्ट्यमस्ति एतेषाम्?

कठिन-शब्दार्थ :

हिन्दी अनुवाद – 
सभी – कैसे? कैसे? 
अध्यापिका – ये सात बहिनें अपने प्राचीन इतिहास में प्रायः स्वतन्त्र ही दिखाई दी हैं। किसी भी शासक के द्वारा इन्हें अपने अधीन नहीं किया गया। अनेक प्रकार की संस्कृतियों से विशिष्ट भारत देश में इन बहिनों की संस्कृति महत्त्वपूर्ण है। 
तन्वी – यह शब्दं सबसे पहले कब प्रयुक्त हुआ? 
अध्यापिका – सुनने में मधुर यह शब्द सबसे पहले विगत शताब्दी के 72वें वर्ष (1972 ई.) में त्रिपुरा राज्य के उद्घाटन कार्यक्रम में किसी के द्वारा प्रवर्तित (प्रारम्भ) किया गया। इसी समय में इन राज्यों का फिर से संघटन किया गया। 
स्वरा – इनकी अन्य भी कुछ विशेषताएँ हैं? 

4. अध्यापिका-नूनम् अस्ति एव ……………………. सप्तभगिन्यः सन्ति। 

कठिन-शब्दार्थ : 

हिन्दी अनुवाद – 
अध्यापिका – निश्चय ही हैं। ये राज्य पर्वत, वृक्ष, पुष्प आदि प्राकृतिक सम्पदाओं से बहुत समृद्ध हैं। भारत रूपी वृक्ष पर पुष्प के गुच्छे के समान ये विराजमान हैं। 
राजीव – हे श्रीमतीजी! घर में जिस प्रकार बहिन सबसे अधिक रमणीय होती है उसी प्रकार भारत रूपी घर में भी ये सात बहिनें सबसे अधिक रमणीय हैं। 

5. अध्यापिका-मनस्यागता ……………………………. निष्णाताः सन्ति।

कठिन-शब्दार्थ : 

हिन्दी अनुवाद – 
अध्यापिका – परम कल्याणयुक्त तुम्हारी यह भावना मन में समा गई है, किन्तु सभी उसी प्रकार से नहीं जानते हैं। अच्छा, इनके विषय में कुछ विशेषताएँ भी कहने योग्य हैं। सावधान मन से सुनो यह प्रदेश जनजातिबहुल है। यहाँ गारो, खासी, नगा, मिजो आदि बहुत-सी जनजातियाँ रहती हैं। शरीर से ऊर्जायुक्त स प्रदेश के लोग अनेक भाषाओं से युक्त, पर्यों की परम्परा से परिपूर्ण और अपनी क्रिया एवं कलाओं से निपुण हैं। 

6. मालती-महोदये! ……………………………………….. स्वर्गसदृशानि इति॥ 

कठिन-शब्दार्थ : 

हिन्दी अनुवाद – 
मालती – महोदया ! वहाँ तो बाँस के वृक्ष भी प्राप्त होते हैं? 
अध्यापिका – हाँ। इस प्रदेश में हस्तशिल्प की अधिकता है। वस्त्राभूषणों से लेकर गृह-निर्माण तक में प्रायः बाँस के वृक्षों से निर्मित वस्तुओं का उपयोग किया जाता है। क्योंकि यहाँ बाँस के वृक्षों की अधिकता है। इस समय यह बाँस का उद्योग अन्तर्राष्ट्रीय प्रसिद्धि को प्राप्त है। 
अभिनव – यह बहिन-प्रदेश अत्यधिक आकर्षक प्रतीत होता है। 
सलीम – क्या भ्रमण करने के लिए यह बहिन-प्रदेश उपयुक्त है? 
सभी छात्र – (जोर से) महोदया ! आने वाले अवकाश में हम सब वहीं जाना चाहते हैं। 
स्वरा – आप भी हमारे साथ चलें। 
अध्यापिका – मुझे यह विचार अच्छा लगता है। ये राज्य तो भ्रमण के लिए स्वर्ग के समान हैं।

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