Chapter 9 सिकतासेतुः
अभ्यासः
प्रश्न 1.
अधोलिखितानां प्रश्नानामुत्तराणि संस्कृतभाषया लिखत
(क) अनधीतः तपोदत्तः कैः गर्हितोऽभवत्?
उत्तर:
अनधीतः तपोदत्तः सर्वैः कुटुम्बिभिः मित्रैः ज्ञातिजनैश्च गर्हितः अभवत्।
(ख) तपोदत्तः केन प्रकारेण विद्यामवाप्तुं प्रवृत्तोऽभवत्?
उत्तर:
तपोदत्तः तपश्चर्यया विद्यां प्राप्तुं प्रवृत्तोऽभवत्।
(ग) तपोदत्तः पुरुषस्य कां चेष्टां दृष्ट्वा अहसत्?
उत्तर:
पुरुषमेकं सिकताभि सेतुनिर्माणप्रयासं कुर्वाणं दृष्ट्वा अहसत्।
(घ) तपोमात्रेण विद्यां प्राप्तुं तस्य प्रयासः कीदृशः कथितः?
उत्तर:
तपोमात्रेण विद्यां प्राप्तुं तस्य प्रयासः सिकताभिरेव सेतुनिर्माणप्रयास मिव कथितः।
(ङ) अन्ते तपोदत्तः विद्याग्रहणाय कुत्र गतः?
उत्तर:
अन्ते तपोदत्तः विद्याग्रहणाय गुरुकुलं गतः।।
प्रश्न 2.
भिन्नवर्गीयं पदं चिनुत-
यथा-अधिरोढुम्, गन्तुम्, सेतुम्, निर्मातुम्।
उत्तर:
सेतुम्।
(क) निःश्वस्य, चिन्तय, विमृश्य, उपेत्य।
उत्तर:
चिन्तय।
(ख) विश्वपसिमि, पश्यामि, करिष्यामि, अभिलषामि।
उत्तर:
करिष्यामि।
(ग) तपोभिः, दुर्बुद्धिः, सिकताभिः, कुटुम्बिभिः।।
उत्तर:
दुर्बुद्धिः।
प्रश्न 3.
(क) रेखाङ्कितानि सर्वनामपदानि कस्मै प्रयुक्तानि?
(i) अलमलं तव श्रमेण।
उत्तर:
पुरुषाय।
(ii) न अहं सोपानमागैरट्टमधिरोढुं विश्वसिमि।
उत्तर:
पुरुषाय।
(iii) चिन्तितं भवता न वा।
उत्तर:
पुरुषाय।
(iv) गुरुगृहं गत्वैव विद्याभ्यासो मया करणीयः?
उत्तर:
तपोदत्ताय।
(v) भवद्भिः उन्मीलितं मे नयनयुगलम्।
उत्तर:
तपोदत्ताय।
(ख) अधोलिखितानि कथनानि कः के प्रति कथयति?
उत्तर:
प्रश्न 4.
स्थूलपदान्यधिकृत्य प्रश्ननिर्माणं कुरुत
(क) तपोदत्तः तपश्चर्यया विद्यामवाप्तुं प्रवृत्तोऽस्ति।
उत्तर:
तपोदत्तः केन प्रकारेण विद्याभवाप्तं प्रवत्तोऽस्ति
(ख) तपोदत्तः कुटुम्बिभिः स्त्रैिः गर्हितः अभवत्।
उत्तर:
कः कटुम्बिभिः मित्रैः गर्हितः अभवत्?
(ग) पुरुषः नद्यां सिकताभिः सेतुं निर्मातुं प्रयतते।
उत्तर:
पुरुषः कुत्र सिकताभिः सेतुं निर्मातुं प्रयतते?
(घ) तपोदत्तः अक्षरज्ञानं विनैव वैदुष्यमवाप्तुम् अभिलषति।
उत्तर:
तपोदत्तः कम् विनैव वैदुष्यमवाप्तुम् अभिलषति?
(ङ) तपोदत्तः विद्याध्ययनाय गुरुकुलम् अगच्छत्।
उत्तर:
तपोदत्तः किमर्थं मुरुकुलम् अगच्छत्?
(च) गुरुगृहं गत्वैव विद्याभ्यासः करणीयः।
उत्तर:
कुत्र गत्वैव विद्याभ्यासः करणीयः?
प्रश्न 5.
उदाहरणमनुसृत्य अधोलिखितविग्रहपदानां समस्तपदानि लिखत
विग्रहपदानि – समस्तपदानि
यथा-संकल्पस्य सातत्येन = संकल्पसातत्येन
(क) अक्षराणां ज्ञानम् = अक्षरज्ञानम्
(ख) सिकतायाः सेतुः = सिकतासेतुः
(ग) पितुः चरणैः = पितृचरणैः
(घ) गुरोः गृहम् = गुरुगृहम्
(ङ) विद्यायाः अभ्यासः = विद्याभ्यासः
प्रश्न 6.
उदाहरणमनुसृत्य अधोलिखितानां समस्तपदानां विग्रहं कुरुत-
समस्तपदानि – विग्रहः
यथा-नयनयुगलम् = नयनयोः युगलम्
उत्तर:
(क) जलप्रवाहे = जलस्य प्रवाहे
(ख) तपश्चर्यया = तपसः चर्यया
(ग) जलोच्छलनध्वनिः = जलस्य उच्छलनस्य ध्वनिः।
(घ) सेतुनिर्माणप्रयासः = सेतोः निर्माणस्य प्रयासः।
प्रश्न 7.
उदाहरणमनुसृत्य कोष्ठकात् पदम् आदाय नूतनं वाक्यद्वयं रचयत
(क) यथा-अलं – चिन्तया – (‘अलम्’ योगे तृतीया)
(i) अलं – भयेन – (भय)
(ii) अलं – कोलाहलेन – (कोलाहल)
(ख) यथा-माम् अनु स गच्छति। – (‘अनु’ योगे द्वितीया)
(i) गृहम् अनु मम विद्यालय अस्ति। – (गृह)
(ii) पर्वतम् अनु नदी वहति। – (पर्वत)
(ग) यथा-अक्षरज्ञानं विनैव वैदुष्यं प्राप्तुमभिलषसि। – (‘बिना’ योगे द्वितीया)
(i) परिश्रमं विनैव त्वं प्रथमस्थनं प्राप्तुमभिलषसि। – (परिश्रम)
(ii) अभ्यासं विनैव त्वं विद्यां प्राप्तुमभिलषसि। – (अभ्यास)
Summary Translation in Hindi and English
संकेत- (ततः प्रविशति ………………………. श्रमेण। पश्य)
शब्दार्थ (Word-meanings)
हिन्दी सरलार्थ-(तब तपस्या करता हुआ तपोदत्त प्रवेश करता है)
तपोदत्त-मैं तपोदत्त हूँ। बचपन में पूज्य पिताजी को व्याकुल किए जाने पर भी मैंने विद्या नहीं पढ़ी। इसलिए परिवार के सब सदस्यों, मित्रों और सम्बन्धियों के द्वारा मेरा अपमान किया गया। (ऊपर की ओर सांस छोडकर)
हे प्रभो! यह मैंने क्या किया? मेरी कैसी दुष्ट बुद्धि हो गई थी उस समय! मैंने यह भी नहीं सोचा कि वस्त्रों तथा आभूषणों से सुसज्जित किन्तु विद्याहीन मनुष्य घर पर या सभा में मणिरहित साँप की तरह कभी भी सुशोभित नहीं होता। (कुछ सोचकर) अच्छा, इससे क्या? दिन में पथभ्रष्ट हुआ मनुष्य यदि शाम तक घर आ जाए तो भी ठीक है। वह भ्रमयुक्त नहीं माना जाता। अब मैं तपस्या के द्वारा विद्या प्राप्ति में लग जाता हूँ। (पानी के उछलने की आवाज सुनी जाती है)
अरे! यह लहरों के उछलने की आवाज कहाँ से आ रही है? शायद बड़ी मछली या मगरमच्छ हो। चलो मैं देखता हूँ। (एक पुरुष को रेत से पुल बनाने का प्रयास करते हुए देखकर हँसते हुए)
हाय! संसार में मूों की कमी नहीं है। तेज प्रवाह वाली नदी में यह मूर्ख रेत से पुल बनाने का प्रयत्न कर रहा है। (जोर-जोर से हँसकर पास जाकर) हे महाशय! यह क्या कर रहे हैं आप? बस-बस श्रम न करें, देखो-
Meaning in English-(Then Tapodatta enters whi practising penance)
Tapodatta-Iam Tapodatta. I did not achieve education even it perplexed by my respected father. Therefore, I was insulted by the members of my family, my friends and my relatives. (Having breathed upward)
Oh God! What did I do? What evil-minded. I became then! I did not think that An uneducated man even though decorated with beautiful clothes and the ornaments does not look beautiful either at home or in the assembly just like a snake without the gem. (Thinking of something)
O.K. what by it? It is good if a man misdirected and returns home by evening and he is not called perplexed. Now I also engage myself in achieving the education by practising penance. (The sound of splash of water is heard)
Oh! From where is this sound of waves heard? This sound may either of great fish or of a crocodile. O.K. let me see then myself. (On seeing a man trying to make the bridge with the sand, laughing)
Ah! the foolish persons are not in less number in this world. This fool is trying to make the bridge with the sand on the fast flowing river. (laughing loudly after going near him)
Oh gentleman! What are you doing this? Stop this hard-work, see-
रामो बबन्ध यं सेतुं शिलाभिर्मकरालये।
विदधद् बालुकाभिस्तं यासि त्वमतिरामताम्।।
शब्दार्थ (Word-meanings)
हिन्दी सरलार्थ-श्रीराम ने समुद्र पर जिस पुल को शिलाओं से बनाया था उस पुल को (इस प्रकार) रेत से बनाते हुए तुम उनके पुरुषार्थ का अतिक्रमण कर रहे हो।
Meaning in English-Shri Rama made a bridge on the ocean with big stones and you are making the (similar) bridge with the sand-thus, you are surpassing the effort of Shri Rama even.
संकेत- चिन्तय तावत् ……………………………. कोऽत्र सन्देहः? किञ्च।
शब्दार्थ (Word-meanings)
हिन्दी सरलार्थ-जरा सोचो! कहीं रेत से पुल बनाया जा सकता है?
पुरुष-हे तपस्विन्! तुम मुझे क्यों रोकते हो? प्रयत्न करने से क्या सिद्ध नहीं होता? शिलाओं की क्या आवश्यकता? मैं रेत से ही पुल बनाने के लिए संकल्पबद्ध हूँ।
तपोदत्त-आश्चर्य है! रेत से ही पुल बनाओगे? क्या तुमने यह सोचा है कि रेत जलप्रवाह पर कैसे ठहर पाएगी?
पुरुष (उसकी बात का खण्डन करते हुए) सोचा है, सोचा है, अच्छी प्रकार सोचा है। मैं सीढ़ियों के मार्ग से (परंपरागत तरीके से) अटारी पर चढ़ने में विश्वास नहीं करता। मुझमें छलांग मारकर जाने की क्षमता है।
तपोदत्त-(व्यंग्यपूर्वक) शाबाश! शाबाश! तुम तो अञ्जनिपुत्र हनुमान का भी अतिक्रमण कर रहे हो। पुरुष-(सोच-विचार कर)
और क्या? इसमें क्या सन्देह है?
Meaning in English: Think for a while. Is it possible to make a bridge with the sand?
Purush-Oh Tapasvin! Why do you prevent me him doing so? What cannot be accomplished by making effort? What is the use of the stones? I will make a bridge with the sand only by the firmness of my determination.
Tapodatta-It is surprising! You will make a bridge with sand only? Will the sand stay on the stream of water? Have you thought of this or not?
Purush-(Making fun) It is thought, it is thought, it is properly thought. I do not believe in climbing the loft through staircases. I have the capability of going by high jumps.
Tapodatta-(With taunting sense)
There is no doubt in it. Moreover-
विना लिप्यक्षरज्ञानं तपोभिरेव केवलम्।
यदि विद्या वशे स्युस्ते, सेतुरेष तथा मम।।
शब्दार्थ (Word-meanings)
हिन्दी सरलार्थ-लिपि तथा अक्षरज्ञान के बिना जिस प्रकार केवल तपस्या से विद्या तुम्हारे वश में हो जाएगी, उसी प्रकार मेरा यह पुल भी (केवल रेत से ही बन जाएगा)।
Meaning in English-Just as you have.overcome learning by practising penance without achieving the knowledge of script and letters, similarly, this bridge of mine is being made with sand only.
संकेत- तपोदत्तः-(सवैलक्ष्यम् …………………………… सप्रणामं गच्छति)।
शब्दार्थ (Word-meanings)
हिन्दी सरलार्थ: तपोदत्त-(लज्जापूर्वक अपने मन में)
अरे! यह सज्जन मुझे ही लक्ष्य करके आक्षेप लगा रहा है। निश्चय ही यहाँ मैं सच्चाई देख रहा हूँ। मैं बिना अक्षरज्ञान के ही विद्वत्ता प्राप्त करना चाहता हूँ। यह तो देवी सरस्वती का अपमान है। मुझे गुरुकुल जाकर ही विद्या का अध्ययन करना चाहिए। पुरुषार्थ से ही लक्ष्य की प्राप्ति सम्भव है। (प्रकट रूप से)
हे श्रेष्ठ पुरुष! मैं नहीं जानता कि आप कौन हैं? किन्तु आपने मेरे नेत्र खोल दिए। तपस्या मात्र से ही विद्या को प्राप्त करने का प्रयत्न करता हुआ मैं भी रेत से ही पुल बनाने का प्रयास कर रहा था, तो अब मैं विद्या प्राप्त करने के लिए गुरुकुल जाता हूँ। (प्रणाम करता हुआ चला जाता है।)
Meaning in English:
Tapodatta-(Being ashamed to himself)
Oh! this gentleman is using sarcasm at me. I feel truth in his words. I want to become scholar without knowing the letters even. This is mere contempt to Goddess Saraswati. I should go to Gurukul to acquire knowledge. The goal can be achieved only when positive efforts are made.
(Openly) Oh gentleman! I do not know who are you? But you have opened my eyes. (You have enlightened me with proper knowledge) I was also trying to make bridge with sand only. I was trying to achieve knowledge through penance only. So, I am going now to the Gurukula to acquire knowledge.