Glimpses of India Summary and Translation in Hindi
I. A Baker from Goa
(गोवा का एक पाव बनाने वाला)
यह कहानी गोवा के एक गाँव के पारम्परिक पाव बनाने वाले का शब्द-चित्र है जो अपने समाज में अभी भी एक महत्त्वपूर्ण स्थान रखता है।
कठिन शब्दार्थ एवं हिन्दी अनुवाद
Our elders are………………………………….so nicely, after all! (Pages 85-86)
कठिन शब्दार्थ : reminiscing nostalgically (रेमिनिसिङ् नॉस्टैलजिक्लि) = अतीत के बारे में प्रसन्नता से याद करते हुए। loaves of bread (लोव्ज् ऑव ब्रेड्) = ब्रेड से बना पाव/पावरोटी। vanished (वैनिश्ट) = गायब हो चुके होना। moulders (मोल्ड्ज) = सांचे में डालने वाले। furnaces (फनिस्ज) = भट्ठियाँ। extinguished (इस्टिग्विश्ट) = बुझी। thud (थड्) = धम्म की आवाज। jingle (जिङ्ग्ल ) = टनटनाहट/खनखनाहट/झंकार । traditional (ट्रैडिश्न्ल ) = पारम्परिक। bamboo (बैम्बू) = बांस। heralding (हेरल्डिङ्) = घोषणा करते हुए। profession (प्रफेशन्) = व्यवसाय । longed for (लॉक्ड फॉ(र)) = चाहे। bread-bangles (ब्रेड्-बैङ्गल्ज) = पाव-चूड़ियाँ । vertical (वटिक्ल) = सीधा। mild rebuke (माइल्ड् रिब्यूक्) = हल्की डाँट। delivered (डिलिव(र)ड) = दे दिये। parapet (पैरॅपिट) = मुंडेर। fragrance (फ्रेग्रन्स्) = सुगन्ध।
हिन्दी अनुवाद – हमारे बुजुर्ग अपने पुराने अच्छे पुर्तगाली दिनों की, पुर्तगालियों की, और उनके मशहूर पाव के टुकड़ों के अतीत के बारे में प्रसन्नता से अक्सर चर्चा करते हुए सुनाई पड़ते हैं। पावों (डबलरोटी) के खाने वाले गायब/खत्म हो चुके होते किन्तु बनाने वाले अभी भी हैं (इसीलिए खत्म नहीं हुए)। हमारे बीच अभी भी मिश्रण करने वाले, सांचे में डालने वाले, और वे जो पावों को पकाते हैं (वे अभी भी) हैं ।
वे युगों पुरानी, समय की कसौटी पर खरी उतरी भट्ठियाँ अभी भी अस्तित्व में हैं। भट्ठियों की आग अभी बुझी नहीं है। पारम्परिक बेकर (पाव बनाने वाले) के बांस की धम्म-धम्म व झंकार प्रातःकाल में उनके आगमन का संकेत देते हुए आज भी कुछ स्थानों पर सुनी जा सकती है। हो सकता है पिता अब जीवित नहीं हो किन्तु पुत्र अभी भी पारिवारिक व्यवसाय सफलतापूर्वक जारी रखे हुए हैं। ये पाव बनाने वाले गोवा में आज भी पैडर के रूप में जाने जाते हैं।
गोवा में हमारे बचपन के दौरान, बेकर (पाव बनाने वाला) हमारा मित्र, संगी व पथ-प्रदर्शक हुआ करता था। वह दिन में कम से कम दो बार तो आता ही था। एक बार तो तब जब वह प्रातःकाल में अपनी बिक्री के लिए चक्कर लगाने रवाना होता था, और फिर पुनः तब जब वह अपनी विशाल टोकरी को खाली करने के पश्चात् लौटता था।
उसके बांस की झंकृत धम्म-धम्म हमें नींद से जगा देती थी और हम उससे मिलने व अभिवादन करने दौड़ पड़ते थे। ऐसा क्यों था? क्या ऐसा पाव के प्रेम के कारण था? बिल्कुल भी नहीं। पावों को तो पासकिन या बासतिन नामक घर की नौकरानियों द्वारा खरीदा जाता था। हमें क्या चाहिए था बस वे ब्रेड-चूड़ियाँ जिन्हें हम सावधानीपूर्वक चुनते थे। कभी-कभी यह विशेष प्रकार से बनी मीठी डबलरोटी होती थी (जिन्हें हम चुनते थे)। बेकर, विशेष रूप से बने अपने बांस के लट्टे से बैंग-बैंग की आवाज के साथ उस स्थल पर अपनी संगीतमय पहुँच से प्रवेश करता।
एक हाथ सिर पर रखे टोकरी को सहारा देता और दूसरा हाथ बांस को जमीन पर बजाता रहता। वह घर की मालकिन का ‘सुप्रभात’ कहकर अभिवादन करता और फिर सीधे बांस पर अपनी टोकरी रख देता। हम बच्चों को तो हल्की डाँट से एक तरफ धकेल दिया जाता और पावों को नौकरों को दे दिया जाता। लेकिन हम आशा छोड़ने वाले (हार मानने वाले) नहीं थे। हम एक बेन्च या मुंडेर पर चढ़ जाते और कैसे न कैसे टोकरी के अन्दर झाँक लेते।
मैं आज भी उन पावों की विशेष प्रकार की सुगन्ध को स्मरण कर सकता हूँ। बड़ों के लिए पाव व बच्चों के लिए चूड़ियाँ-पाव। फिर तो हम अपने दाँतों को साफ करने या ठीक से मुँह धोने की परवाह भी नहीं करते थे। और हमें (परवाह) करनी भी क्यों चाहिए? कौन आम के पत्तों को, दाँतों की ब्रश बनाने के लिए, तोड़ने की परेशानी मोल लेता? और यह बिल्कुल जरूरी भी क्यों था? बाघ कभी भी अपने दाँतों को साफ नहीं करता था। गर्म चाय आखिरकार सभी चीजों को अच्छी तरह धो डालती है व साफ कर डालती है!
Marriage gifts are…………………to a baker. (Page 87)
कठिन शब्दार्थ : feast (फीस्ट्) = दावत। sandwiches (सैन्विज्ज) = सैन्डविच। peculiar (पिक्यूलिअ(र)) = विशेष । prosperous (प्रॉस्परस्) = समृद्ध । plump physique (प्लम्प फिजाक्) शरीर । open testimony (ओपन् टेस्टिमनि) = खुला प्रमाण।
हिन्दी अनुवाद – वैवाहिक उपहार, मीठी ब्रेड जिसे ‘बॉल’ कहते हैं, के बिना अर्थहीन हैं, जैसे कि एक पार्टी या दावत ब्रेड के बिना अपना आकर्षण खो देती है। एक गाँव के लिए बेकर कितना महत्त्वपूर्ण होता है यह प्रदर्शित करने के लिए ऊपर कही गई बातें भी पर्याप्त नहीं हैं। अपनी पुत्री की सगाई के अवसर पर एक गृहस्वामिनी के लिए सैन्डविचें बनाना जरूरी होता है। क्रिसमस व अन्य पर्यों के लिए केक व बॉलिन्हाज जरूरी होते हैं । इस प्रकार गाँव में एक बेकर (पाव बनाने वाले) की भट्ठी की उपस्थिति पूर्ण रूप से अनिवार्य
उन दिनों का बेकर (पाव बनाने वाला) या ब्रेड-विक्रेता एक विशेष पोशाक पहनता था जिसे बाई’ के रूप में जाना जाता था। यह एक ही कपडे की बनी लम्बी फ्रॉक होती थी जो घटनों तक पहुँचती थी। अपने बचपन में हमने पाव बनाने वालों को एक कमीज व एक ऐसा ट्राउजर्ज (पैंट्स) पहने देखा था जो पूरी लम्बाई से थोड़ा कम व नेकर से लम्बी होती थी। आज भी, कोई भी जो ऐसी हाफ-पैन्ट पहनता है जो घुटनों से थोड़ा नीचे तक होती है वह ऐसी टिप्पणी आमन्त्रित करता है कि उसने पैडर जैसी पोशाक पहन रखी है! बेकर (पाव बनाने वाले) अपने बिलों का भुगतान अधिकतर माह के अन्त में एकत्रित करते थे।
महीने कसी दीवार पर पेन्सिल से दर्ज किया जाया करता था। पाव बनाना उन दिनों वास्तव में लाभकारी व्यवसाय था। पाव बनाने वाला व उसका परिवार कभी भूखा नहीं मरता था। वह, उसका परिवार और उसके नौकर हमेशा प्रसन्न व समृद्ध दिखाई देते थे। उनका गदराया हुआ शरीर इसका खुला प्रमाण था। यहाँ तक कि आज भी किसी के कटहल के फल जैसी शारीरिक बनावट की आसानी से एक बेकर (पाव बनाने वाले) से .. तुलना की जाती है।
II. Coorg
(कुर्ग)
(कुर्ग कॉफी उत्पादन का देहाती इलाका है, जो अपने वर्षा वनों व मसालों के लिए प्रसिद्ध है।
कठिन शब्दार्थ एवं हिन्दी अनुवाद)
Midway between………………………………….and the Kurds. (Pages 90-91)
कठिन शब्दार्थ : coastal (कोस्ट्ल ) = तटवर्ती । drifted from (ड्रिफ्ट्डि फ्रॉम्) = हवा के हल्के झोंकों के साथ। inhabited (इन्हैबिट्ड) = निवास किया। martial (माश्ल) = लड़ाकू। spices (स्पाइस्ज) = मसाले। invigorating (इनविगरेटिङ्) = ऊर्जावान बनाने वाली। colonial (कलोनिअल) = औपनिवेशिक। canopies (कैनपिज) = शामियाने। fiercely (फिअस्लि ) = उग्रतापूर्वक। mainstream (मेन्स्ट्रीम्) = मुख्यधारा। embroidered (इम्ब्रॉइड(र)ड) = कशीदा वाली। waist-belt (वेस्ट-बेल्ट) = कमर-बेल्ट।
हिन्दी अनुवाद – मैसूर व तटवर्ती कस्बे मैंगलोर के मध्य स्वर्ग का एक भाग स्थित है जो अवश्य ही हवा के झोंकों के साथ ईश्वर के राज्य से यहां बह आया था। गोलाई ली हुई पहाड़ियों की इस भूमि पर लड़ाकू पुरुषों तथा सुन्दर महिलाओं की एक गर्वीली प्रजाति व जंगली जानवर निवास करते हैं।
कुर्ग या कोडागु, कर्नाटक का सबसे छोटा जिला, सदाबहारं वर्षावनों, मसालों व कॉफी की खेती का घर है।
सदाबहार वर्षावन इस जिले के 30% को आच्छादित किये हैं। मानसून के दौरान यहाँ अत्यधिक वर्षा होती है जिसके कारण बहुत से पर्यटक दूर ही रहते हैं (अर्थात् यहाँ की यात्रा नहीं करते हैं)। आनंद की ऋत सितम्बर से आरम्भ होती है और मार्च तक जारी रहती है। मौसम, कुछ अतिरिक्त प्रदत्त बौछारों के साथ, अच्छा रहता है। वायु (हमें) कॉफी की ऊर्जावान सुगन्ध से अनुप्राणित कर देती है। कॉफी भू-सम्पदा और मुख्य कोनों में स्थित औपनिवेशिक बंगले वृक्षों रूपी शामियाने के नीचे सिमटे खड़े रहते हैं।
कुर्ग के उग्र आजाद लोग सम्भवतः ग्रीक या अरब के वंशज हैं। जैसेकि एक कहानी प्रचलित है, कि सिकन्दर की सेना का एक भाग तट के सहारे-सहारे दक्षिण चला गया और जब वापसी अव्यावहारिक हो गई तो यहीं बस गया। इन लोगों ने स्थानीय निवासियों में विवाह सम्बन्ध स्थापित कर लिए और इनकी संस्कृति भी स्वाभाविक रूप से लड़ाकू परम्पराओं में है, विवाह व धर्म संस्कार भी हिन्दू मुख्यधारा से भिन्न हैं। अरब उद्गम का सिद्धान्त, कोडावूस द्वारा एक कसीदाकारी किये कमरबंध के साथ पहने जाने वाले लम्बे काले कोट से समर्थन पाता है। कुपिया के रूप में जाना जाने वाला यह अरबों व कुर्दो द्वारा पहने जाने वाली कुफिया से मिलता-जुलता है।
Coorgi homes have……….. ……………here in Coorg. (Pages 91-92)
कठिन शब्दार्थ : hospitality (हॉस्पिटैलटि) = आतिथ्य सत्कार । tales of valour (टेलज ऑव् वेल(र)) = वीरता की कथाएँ। most decorated (मोस्ट डेकरेट्ड) = युद्ध में वीरता के लिए सबसे अधिक पदकों से सुशोभित होना। laid back (लेड् बैक) = शान्त व तनावमुक्त/आरामपसन्द । rafting (राफ्टिङ्) = एक नदी में एक राफ्ट में यात्रा करते हुए (सपाट फट्टों को एक साथ बाँधकर बनाया गया एक तैरता हुआ प्लेटफार्म)। canoeing (कनूइङ्) = एक नदी में एक लम्बी सकड़ी नाव में यात्रा करना । rappelling (रैपेलिङ्) = रस्से पर फिसल कर एक चट्टान से नीचे आना। numerous (न्यूमरस्) = अनेक। trails (ट्रेल्ज) = पगडंडी। trekkers (ट्रेक्(र)ज) = पैदल चलने वाले। macaques (मकाक्स) = लघु पुच्छ वानर । loris (लॉरिस) = लजीला वानर । panoramic view (पैनरैमिक् व्यू) = एक चौड़ी धरती का नजारा । ochre (ओक(र)) = गेरुआ।
हिन्दी अनुवाद-कुर्गी घरों में आतिथ्य-सत्कार एक परम्परा है, और वे अपने पुत्रों व पिताओं की वीरता की अनेक गाथाओं का वर्णन करने में आवश्यकता से अधिक इच्छुक रहते हैं। कुर्ग रेजिमॅन्ट भारतीय सेना में सर्वाधिक वीरता पुरस्कार प्राप्त (रेजिमेन्टों) में से एक है, और भारतीय सेना का प्रथम थल सेनाध्यक्ष, जनरल करिअप्पा, एक कुर्गी था।
अभी भी, भारत में कोडावूस एकमात्र लोग हैं जिन्हें बिना लाइसेन्स के हथियार रखने की अनुमति है। नदी, कावेरी, अपना जल कुर्ग की पहाड़ियों और जंगलों से प्राप्त करती है। महासीर शुद्ध जल की एक विशाल मछलीइन जलों में भरपूर है। किंगफिशर/कौडिल्ले अपने शिकार के लिए गोता लगाते हैं, जबकि गिलहरियाँ व लंगूर शरारत के लिए आंशिक खाया हुआ फल स्वच्छ जल में गिराते हैं ताकि (गिरने पर होने वाली) छपाक व लहरीय प्रभाव का आनन्द ले सकें। हाथी नहलाये जाने का व उनके महावत द्वारा नदी में उन्हें रगड़े जाने का आनन्द लेते हैं।
सर्वाधिक आरामपसन्द व्यक्ति भी, नदी में राफ्टिंग (सपाट नाव), कॅनूइंग (सकड़ी लम्बी नाव), रैपेलिंग (चट्टान से रस्से के सहारे उतरना), चट्टान-आरोहण और पर्वत-मोटरसाइक्लिंग करने पर, जीवन के उच्च-ऊर्जावान साहसिक कार्य करने वाले में रूपान्तरित हो जाते हैं। इस क्षेत्र की अनेक पैदल सैर पगडंडियाँ पैदल चलने वालों को प्रिय हैं।
आपका साथ देने के लिए पक्षी, मधुमक्खियाँ और तितलियाँ वहाँ हैं। मैकाक्स (लघु पुच्छ वानर), मालाबार की गिलहरियाँ, लंगूर और पतले लजीले वानर (स्लेन्डर लॉरिस) वृक्षों रूपी शामियाने से चौकस नजर रखते हैं। मैं, हालांकि, जंगली हाथियों से परे हटकर चलने को प्राथमिकता देता हूँ। ब्रह्मगिरि पहाड़ी की चढ़ाई आपको कुर्ग के सम्पूर्ण कोहरेदार भूदृश्य के विशाल नजारों के अन्दर ले आती है, रस्सों के पुल पर पैदल चलकर जाने पर चौसठ एकड़ के निसर्गधाम द्वीप पर पहुँचते हैं। भारत के सबसे बड़े तिब्बती अधिवास से बाइलाकुप्पी के समीप बौद्ध भिक्षुओं के पास पहुँचना एक अधिलाभ है । भारत के दिल व आत्मा की खोज कर रहे यात्रियों के लिए, यहाँ कुर्ग में, लाल, गेरू और पीली. पोशाकों वाले भिक्षु उन बहुत से आश्चर्यों में से एक हैं जो उन्हें अभी खोजने हैं।
तथ्य फाइल-कैसे पहुँचें
मधिकेरी, जिला मुख्यालय, कुर्ग पहुँचने का एकमात्र प्रवेश मार्ग है। कोहरे से ढकी हुई पहाड़ियाँ, हरे-भरे वन, और कॉफी की खेती आप पर जादू कर देगी। एक रिजोट (सैरगाह), या कॉफी-भू-सम्पदा या एक घर में ठहरना एक वास्तविक कुर्गी अनुभव देगा।
हवाई जहाज द्वारा – निकटतम हवाई अड्डे मंगलोर (135 कि.मी.) व बैंगलोर (260 कि.मी.) हैं। मुम्बई से मंगलोर के लिए हवाई यात्रा सुविधा है और बैंगलोर के लिए अहमदाबाद, चेन्नई, दिल्ली, गोवा, हैदराबाद, कोची, कोलकाता, मुम्बई व पुणे से है।
रेल द्वारा – निकटतम रेलवे स्टेशन हैं मैसूर, मंगलोर व हासन।
सड़क द्वारा – बैंगलोर से कुर्ग के लिए दो मार्ग हैं। दोनों लगभग समान दूरी रखते हैं (लगभग 250 260 कि.मी.)। मैसूर होकर जाने वाला मार्ग अधिकतर प्रयोग होता है। दूसरा मार्ग नीलामंगल, कुनिगल, चैनरायानापटना होकर है।
III. Tea from Assam
(आसाम की चाय)
प्रान्जोल, एक आसामी बालक है, जो दिल्ली के एक विद्यालय में राजवीर का सहपाठी है । प्रान्जोल के पिता ऊपरी आसाम में एक चाय बागान के मैनेजर (प्रबन्धक) हैं और प्रान्जोल ने राजवीर को ग्रीष्म अवकाश में अपने घर आने का निमन्त्रण दिया है।
(कठिन शब्दार्थ एवं हिन्दी अनुवाद)
Chai-Garam……..garam-chai’,…………………. scoffed Pranjol. (Pages 94-95)
कठिन शब्दार्थ : vendor (वेन्ड(र)) = फेरी वाला। detective (डिटेक्टिव) = जासूसी। ardent (आड्न्ट) = प्रबल। magnificent (मैग्निफिस्न्ट्) = भव्य। densely (डेस्लि ) = सघन। dwarfing (ड्वॉफिङ्) = बौना करते हुए। sturdy (स्टड्)ि = मजबूत। billowing (बिलोइङ्) = लहराकर बाहर निकलना। concentration (कॉन्सन्ट्रेशन्) = केन्द्रीकरण, घनत्व । plantation (प्लान्टेश्न्) = बागान, खेती। legends (लेजन्ड्ज) = पौराणिक कथाएँ। delicious (डिलिशस्) = स्वादिष्ट। flavour (फ्लेव(र)) = जायका। scoffed (स्कॉफ्ड) = उपहास किया।
हिन्दी अनुवाद – “चाय-गरम……..गरम-चाय”, एक फेरी वाला उच्च-स्वर वाली आवाज में पुकारने लगा।
वह उनकी खिड़की तक आ गया और पूछने लगा, “चाय, साहब?” “हमें दो कप दे दो”, प्रान्जोल ने कहा। वे भापं वाले गर्म पेय की चुस्कियाँ लेने लगे। उनके डिब्बे में लगभग सभी चाय पी रहे थे।
“क्या तुम जानते हो कि प्रतिदिन चाय के 80 करोड़ से अधिक कप संसार भर में पीये जाते हैं?” राजवीर ने कहा।
“ह्यू!” प्रान्जोल भावावेश से चिल्लाया, “चाय वास्तव में बहुत लोकप्रिय है।”
रेलगाड़ी स्टेशन से बाहर निकली, प्रान्जोल ने अपनी नाक पुनः अपनी जासूसी पुस्तक में गाड़ दी (अर्थात् पढ़ना आरम्भ कर दिया)। राजवीर भी जासूसी कहानियाँ पढ़ने का प्रबल शौकीन था, किन्तु उस क्षण (समय) वह सुन्दर दृश्य देखने को अधिक उत्सुक था। हर जगह हरा ही हरा था। राजवीर ने इतनी हरियाली पहले कभी नहीं देखी थी। फिर नरम हरे धान्य के खेतों ने चाय की झाड़ियों को जगह दे दी (अर्थात् धान के खेत समाप्त हो गए और चाय के बागान दिखाई देने लगे)।
यह भव्य दृश्य था । सघन वनाच्छादित पहाड़ियों के पृष्ठ पट पर दूर जहाँ तक नजरें देख सकें चाय की झाड़ियों का एक समुद्र-सा फैला हुआ था। छोटे चाय के पौधों को बौना करते हुए लम्बे, मजबूत, छायादार वृक्ष थे और बीच में व्यवस्थित रूप से लगी झाड़ियों की कतारों में गुड़ियाँ जैसी हिलती आकृतियाँ थीं (अर्थात् चाय के पत्ते तोड़ने वाली स्त्रियों की आकृतियाँ थीं)। कुछ दूरी पर एक भद्दी इमारत थी जिसकी ऊँची चिमनियों से धुआँ लहराकर बाहर निकल रहा था।
“हे, एक चाय बागान!” राजवीर उत्तेजना से चिल्लाया।
प्रान्जोल, जो इन्हीं बागानों में जन्मा था और बड़ा हुआ था, राजवीर की उत्तेजना को नहीं बाँट सका।
“ओह, यह अब चाय का क्षेत्र है”, उसने कहा, “आसाम में संसार के सबसे अधिक बागानों का केन्द्रीकरण है। तुम यहाँ पर्याप्त बागान देखोगे जो तुम्हारे पूरे जीवन में भी समाप्त नहीं होंगे!”
“मैं चाय के बारे में इतना अध्ययन कर रहा हूँ जितना सम्भव हो सकता था”, राजवीर ने कहा. “कोई नहीं जानता कि चाय की खोज किसने की किन्तु बहत-सी पौराणिक कथाएँ जरूर हैं।”
“क्या कथाएँ?”
“अच्छा, एक तो है चीन के महाराजा की जो जल पीने से पूर्व उसे उबालता था। एक दिन बर्तन के नीचे जल रही टहनियों के कुछ पत्ते (गर्म हो रहे) जल में गिर गए और इसने जल को स्वादिष्ट जायकेदार बना दिया। ऐसा कहा जाता है कि वे चाय की पत्तियाँ थीं।”
“मुझे दूसरी भी बताओ!” प्रान्जोल ने उपहास किया।
“We have an Indian…….. ……… while I’m here”. (Pages 95-96)
कठिन शब्दार्थ : ascetic (असेटिक) = संन्यासी। banished (बैनिश्ट) = निर्वासित किया। beverage (बेवरिज्) = पेय पदार्थ । veered (विअ(र)ड) = वाहन का अचानक मुड़ जाना। gravel road (ग्रैवल रोड्) = रोड़ी वाली सड़क। pruned (प्रून्ड) = काट-छांट की हुई। second-flush (सेकन्ड्-फ्लश्) = द्वितीय फसल। meditations (मेडिटेशन्ज) = ध्यानावस्थाएँ। as medicine (ऐज् मेड्स्न् ) = दवा के रूप में। clattered (क्लैट(र)ड) = खड़खड़ाना। collected (कलेक्टिड्) = एकत्रित किया। luggage (लगिज्) = सामान। crowded (क्राउडिड्) = भीड़-भरे । entered (एन्ट(र)ड) = प्रवेश किया। wearing (वेअरिङ्) = पहने हुए। plucking (प्लकिङ्) = तोड़ रहे थे। newly sprouted (न्यूलि स्प्राउट्ड) = नये फूटे (पत्ते)।
हिन्दी अनुवाद – हमारे पास एक भारतीय कथा भी है। बोधिधर्म, एक प्राचीन बौद्ध भिक्षु, ने अपनी पलकें काट लीं क्योंकि ध्यान के दौरान उसे नींद आती थी। उन पलकों से चाय के दस पौधे उग आये। इन पौधों के पत्तों को जब गर्म जल में डाला गया और इसे पीया जाता था तो नींद गायब हो जाती थी (अर्थात् नींद नहीं आती थी)।
“चाय सबसे पहले चीन में पी गई”, राजवीर ने आगे कहा, “इतनी पहले जितने कि 2700 ईसा पूर्व! वास्तव में ये शब्द जैसे टी, चाय और चीनी भी चीन देश से हैं। चाय यूरोप में केवल 16वीं शताब्दी में आई और एक दवा के रूप में अधिक ली जाती थी बजाय एक पेय पदार्थ के रूप में।” रेलगाड़ी खड़खड़ करती हुई मरिआनी जंक्शन में गई। लड़कों ने अपने सामान एकत्रित किये और भीड़भरे प्लेटफॉर्म की ओर दूसरों को धकेलते हुए अपने रास्ते चल पड़े।
प्रान्जोल के माता-पिता उनकी प्रतीक्षा कर रहे थे। शीघ्र ही वे धेकिआबारी की ओर यात्रा कर रहे थे जहाँ प्रान्जोल के पिता चाय बागान का प्रबन्धन करते थे। .’ एक घण्टे के उपरान्त कार मुख्य सड़क से अचानक तेजी से मुडी। उन्होंने एक मवेशीपल पार और धेकिआबारी चाय बागानों में प्रवेश किया।
रोड़ी की सड़क के दोनों ओर एकड़ के एकड़ चाय की झाड़ियाँ थीं, जो सफाई से काट-छांट कर समान ऊँचाई की हुई थीं। चाय चुनने वालों के झुण्ड अपनी पीठों पर बांस की टोकरियाँ लादे थे व प्लास्टिक ऐन पहने थे, वे नई अंकुरित पत्तियों को तोड़ रहे थे। प्रान्जोल के पिता ने गाड़ी धीमी कर ली ताकि चाय की पत्तियों से भरी एक रेडा गाड़ी वाला ट्रैक्टर निकल जाए।
“यह दूसरी फसल या अंकुरण का समय है, है ना श्रीमान् बरुआ”, राजवीर ने पूछा
“यह मई से जुलाई तक चलेगा और सबसे बढ़िया चाय पैदा करेगा।”
“ऐसा लगता है कि यहाँ आने से पूर्व तुमने अपना गृहकार्य कर लिया है”, प्रान्जोल के पिता ने आश्चर्य से कहा।
“हाँ, श्रीमान् बरुआ”, राजवीर ने स्वीकार किया, “किन्तु मैं आशा करता हूँ कि जब तक मैं यहाँ हूँ मुझे और अधिक सीखने को मिलेगा।”