Poem 2 Wind
Textbook Questions and Answers
Thinking About The Poem :
I.
Question 1.
What are the things the wind does in the first stanza?
प्रथम पद में वे क्या चीजें हैं जो पवन करती है?
Answer:
The wind blows strongly and causes a lot of destruction. He breaks the shutters of the windows, scatters the papers and throws down the books on the shelf. He brings the rain too.
पवन तीव्रता से चलती है और अत्यधिक विनाश करती है। वह खिड़कियों की झिलमिली की तोड़ती है, शेल्फ पर रखी पुस्तकों को गिरा देती है, कागजों को फैला देती है, वह बरसात भी ले आती है।
Question 2.
Have you seen anybody winnow grain at home or in a paddy field? What is the word in your language for winnowing ? What do people use for winnowing? (Give the words in your language, if you know them.)
क्या आपने किसी को घर पर या धान के खेत में अनाज पछारते/ओसाते देखा है? आपकी भाषा में winnowing के लिए क्या शब्द प्रयोग करते हैं? इसके लिए किस उपकरण को प्रयोग में लाते हैं? (यदि आप उनको जानते हैं तो अपनी भाषा में उनके शब्द दीजिए।)
Answer:
Yes, I have seen people winnowing grain in a paddy field. In my Hindi language the word for winnowing is – पछारना/ओसाना/फटकना. For winnowing, people use winnowing-basket (5915).
हाँ, मैंने लोगों को चावल के खेत में अनाज को पछारते देखा है। मेरी हिन्दी भाषा में ‘विनउइंग’ के लिए पछारना/ओसाना/फटकना शब्द आता है। पछारने के लिए लोग ‘छाज’ का प्रयोग करते हैं।
Question 3.
What does the poet say the wind god winnows?
कवि के अनुसार पवन देव क्या पछारते हैं?
Answer:
The poet says the wind god winnows weaklings, frail crumbling houses, crumbling doors, crumbling rafters, crumbling wood, crumbling bodies, crumbling lives and crumbling hearts. Thus, the wind god winnows the weak and the crumbling.
कवि के अनुसार पवन देव कमजोरों को, कमजोर टूटते हुए घरों को, टूटते हुए दरवाजों को, टूटते हुए शहतीरों को, टूटती हुई लकड़ी को, टूटते हुए शरीरों को, टूटती हुई जिन्दगियों को और टूटते हुए दिलों को पछारते हैं। इस प्रकार, पवन देव कमजोरों व टूटते हुओं को पछारते हैं।
Question 4.
What should we do to make friends with the wind?
पवन से मित्रता के लिए हमें क्या करना चाहिए?
Answer:
To make friends with the wind we should build strong homes; join the doors firmly; practice to firm the body; and make the heart steadfast. Thus, we should make ourselves strong and firm.
पवन के साथ मित्रता करने के लिए हमें मजबूत घर बनाने चाहिए; दरवाजों को मजबूती से बन्द करना चाहिए; शरीर को मजबूत करने का अभ्यास करना चाहिए; और दिल को विश्वसनीय तथा निष्ठावान बनाना चाहिए। इस प्रकार, हमें अपने आपको शक्तिशाली व मजबूत बनाना चाहिए।
Question 5.
What do the last four lines of the poem mean to you?
कविता की अन्तिम चार पंक्तियों का आप क्या अर्थ समझते हैं?
Answer:
The last four lines of the poem mean to me that the wind blows out (deadens) weak-fires (weak people). The wind god strengthens the strong (strong people). Thus, the wind god helps those who make themselves strong and he destroys those who keep themselves weak.
कविता की अन्तिम चार पंक्तियों से मैं समझता हूँ कि पवन कमजोरों को (कमजोर लोगों को) बुझा देती है (मृतप्रायः कर देती है)। पवन देव शक्तिशालियों (शक्तिशाली लोगों) को अधिक शक्तिशाली बनाते हैं। इस प्रकार, पवन देव उनकी सहायता करते हैं जो अपने को शक्तिशाली बनाते हैं तथा वे उनको बर्बाद कर देते हैं जो अपने को कमजोर रखते हैं।
Question 6.
How does the poet speak to the wind – in anger or with humour? You must also have seen or heard of the wind ‘crumbling lives’. What is your response to this? Is it like the poet’s?
कवि पवन से कैसे बात करते हैं – क्रोध में या हास्य से? आपने भी पवन के बारे में देखा या सुना होगा कि यह ‘जीवन को नष्ट कर देती है। आपकी इस बारे में क्या प्रतिक्रिया है? क्या यह ठीक कवि जैसी ही है?
Answer:
The poet speaks to the wind both in anger and with humour. In anger, the wind . breaks shutters, scatters papers, throws down books, tears pages, brings rain etc. The poet speaks with humour when wind pokes fun at weaklings.
I have seen and heard of the wind ‘crumbling lives’. Storms, cyclones etc. cause devastation and lives then crumble. My response to this is positive. Nature balances itself by such measures. It’s God’s fury against unsustainable development. Yes, it is like the poet’s. The poet also advocates for friendship with wind (nature).
कवि पवन से दोनों तरह से, क्रोध में व हास्य से बात करता है। क्रोध में पवन शटर तोड़ती है, कागज बिखेरती है, पुस्तकें गिराती है, पृष्ठ फाड़ती है, वर्षा लाती है आदि। कवि हास्य से बोलता है जब पवन कमजोरों की खिल्ली उड़ाती है। मैंने पवन को ‘कमजोर जिन्दगियों को नष्ट करते’ देखा व सुना है।
तूफान, चक्रवात आदि विध्वंस करते हैं और जिन्दगियाँ तब नष्ट होती हैं। इसके प्रति मेरी प्रतिक्रिया सकारात्मक है। प्रकृति इन उपायों द्वारा स्वयं को सन्तुलित करती है। यह अनियन्त्रित विकास के विरुद्ध ईश्वरीय प्रकोप है। हाँ, यह ठीक कवि जैसी है। कवि भी पवन (प्रकृति) के साथ मित्रता की वकालत करता है।
II.
The poem you have just read is originally in Tamil. Do you know any such poems in your language?
जो कविता आपने पढ़ी है वह मूल रूप से तमिल भाषा में रची गई है। क्या आप अपनी भाषा में ऐसी कोई कविता जानते हैं?
Answer:
Note : स्वयं कीजिए।
RBSE Class 9 English Wind Important Questions and Answers
Question 1.
What is the message/central idea of the poem?
कविता का सन्देश/केन्द्रीय भाव क्या है?
Answer:
The message/central idea of the poem is this that in life everyone has to face hardships and challenges. If one is weak, these will crush her/him. If one is strong and firm, these will make her/him flourish.
कविता का सन्देश/केन्द्रीय भाव यह है कि जीवन में प्रत्येक व्यक्ति को कठिनाइयों एवं चुनौतियों का सामना करना पड़ता है। यदि कोई कमजोर है तो ये उसे रौंद डालती हैं। यदि कोई शक्तिशाली व मजबूत है तो ये उसे आगे बढ़ाती हैं।
Question 2.
We praise wind god everyday. Why?
हम पवन देव की नित्यप्रति प्रशंसा करते हैं। क्यों?
Answer:
We praise wind god everyday because we depend on oxygen (wind) everyday, every moment for breath. Difficulties of daily-life make us learn certain lessons and broadens our mind, thinking, perception etc.
हम पवन देव की नित्यप्रति प्रशंसा करते हैं क्योंकि श्वास के लिए हम नित्यप्रति, प्रतिक्षण ऑक्सीजन (पवन) पर निर्भर करते हैं। प्रतिदिन की कठिनाइयाँ हमें निश्चित सबक सिखाती हैं और हमारे मस्तिष्क, विचार, दृष्टि को व्यापक बनाती हैं।
Question 3.
What does the wind symbolise? Give reasons.
पवन किसका संकेत है? तर्क दें।
Answer:
Wind symbolises hardships and challenges faced by us in our life. If we are mentally and physically prepared to face hardships and challenges, we can overcome them and emerge victorious otherwise we will be crushed.
पवन कठिनाइयों व चुनौतियों की ओर संकेत करती है जीवन में हम जिनका सामना करते हैं। यदि हम मानसिक व शारीरिक रूप से तैयार हैं इन कठिनाइयों व चुनौतियों का सामना करने के लिए, तो हम इनको नियन्त्रित कर सकते हैं और विजेता के रूप में उभर सकते हैं अन्यथा हमें रौंद डाला जायेगा।
Question 4.
How does the poem open and conclude ?
कविता का आरम्भ व अन्त कैसे होता है?
Answer:
The poem opens with a request. The poet requests wind not to blow strongly and cause destruction. The poem concludes with a suggestion how we can make friends with wind. And that we should praise him everyday.
कविता एक निवेदन से आरम्भ होती है। कवि, पवन से निवेदन करता है कि मजबूती से नहीं बहो और विध्वंस न करो। कविता एक परामर्श से अन्त होती है कि हम पवन से दोस्ती कैसे कर सकते हैं। और यह कि हमें उसकी नित्यप्रति प्रशंसा करनी चाहिए।
Question 5.
What appeals does the poet make to the wind ?
कवि, पवन से, क्या निवेदन करता है?
Answer:
The poet appeals the wind to come softly, not to break the shutters of the windows, not to scatter the papers, and not to throw down the books on the shelf.
कवि, पवन से, निवेदन करता है कि वह धीरे चले, खिड़कियों की झिलमिली को न तोड़े, कागजों को न बिखेरे और ताक पर रखी पुस्तकों को नीचे न गिराए।
Question 6.
What, according to the poet, has the wind done ?
कवि के अनुसार पवन ने क्या कर दिया है?
Answer:
According to the poet the wind has thrown down the books which were on the shelf, torn the pages of them, brought the rain again, and poked fun at weaklings.
कवि के अनुसार पवन ने उन पुस्तकों को नीचे गिरा दिया है जो ताक पर थीं, उनके पन्ने फाड़ डाले हैं, वर्षा को पुनः ले आई है और कमजोरों की खिल्ली उड़ाई है।
Question 7.
How, according to the poet, is the wind discriminatory ?
कवि के अनुसार पवन विभेदात्मक कैसे है?
Answer:
According to the poet the wind is discriminatory. First, it blows out the weak fires and makes the strong fires roar and flourish. Second, it pokes fun at the weaklings and befriends the strong people.
कवि के अनुसार पवन विभेदात्मक है। प्रथम, यह कमजोर आग को बुझा देती है और शक्तिशाली आग को तेजी से जलाती व बढ़ाती है। द्वितीय, यह कमजोरों की खिल्ली उड़ाती है और शक्तिशाली लोगों से दोस्ती करती है।
Question 8.
How does the poet personify the wind ?
कवि, पवन का मानवीकरण कैसे करता है?
Answer:
The poet personifies the wind in the form of the Wind God from the opening of the poem to its conclusion. He (The Wind God) performs his actions both on the weaklings and the strong people.
कवि, कविता के आरंभ से अंत तक, पवन का मानवीकरण ‘पवन देव’ के रूप में करता है। वह (पवन देव) दोनों, कमजोरों व शक्तिशाली लोगों पर अपने (पवन के) चलने का प्रभाव डालता है।
Explanations with Reference to the Context
(सन्दर्भ सहित व्याख्याएँ)
Stanza 1.
Wind, come softly.
Don’t break the shutters of the windows.
Don’t scatter the papers.
Don’t throw down the books on the shelf.
Reference : These are the opening lines of the poem ‘Wind’ composed by Subramania Bharati, a great Tamil poet.
Context: The poet requests the wind to blow softly so that no damage is done to the shutters of the windows, the papers are not scattered and the books are not thrown down the shelf.
Explanation : The poet makes an appeal to the wind to blow softly. He is aware of the destruction caused by a strongly blowing wind to his belongings. Therefore, he requests it not to cause damage to his window shutters, papers and books.
सन्दर्भ : ये पंक्तियाँ सुब्रमनिया भारती की कविता ‘Wind’ की प्रारम्भिक पंक्तियाँ हैं। सुब्रमनिया भारती एक महान् तमिल कवि थे।
प्रसंग : कवि पवन से प्रार्थना करता है कि वह धीमे-धीमे बहे ताकि खिड़कियों के शटरों को नुकसान न पहुँचे, कागज़ात न बिखरें तथा पुस्तकें शेल्फ (ताक) पर से नीचे न गिर जाएं।
व्याख्या : कवि पवन से निवेदन करता है कि वह धीमे-धीमे बहे। कवि उस नुकसान के प्रति जागरूक है जो तीव्रता से बहने वाली पवन उसके व्यक्तिगत सामान को पहुँचाती है। इसलिए वह पवन से प्रार्थना करता है कि वह उसकी खिड़कियों के शटरों, कागजातों तथा पुस्तकों को नुकसान न पहुँचाए।
Stanza 2.
There, look what you did-you threw them all down.
You tore the pages of the books.
You brought rain again.
You’re very clever at poking fun at weaklings.
Reference : These lines have been taken from Subramania Bharati’s poem ‘Wind’. The poet requests the wind not to cause any harm to his things.
Context: The poet makes an appeal to the wind to blow slowly and softly, so that his things don’t receive any damage. However, the wind doesn’t heed his requests.
Explanation : The wind ignores the poet’s request to it to blow softly and causes damage to his things. The wind has blown strongly, throwing all his books down from the shelf and tearing their pages. Further, the wind has brought the rain again by blowing as a storm. It seems the wind very cleverly pokes fun at weak and helpless persons and things.
सन्दर्भ : ये पंक्तियाँ सुब्रमनिया भारती की कविता ‘Wind’ से ली गयी हैं। कवि पवन से प्रार्थना करता है कि वह उसकी वस्तुओं को नुकसान न पहुँचाए।
प्रसंग : कवि पवन से निवेदन करता है कि वह धीरे तथा आहिस्ता-आहिस्ता बहे ताकि उसकी वस्तुओं को कोई नुकसान न पहुँचे। किन्तु पवन उसकी प्रार्थना पर ध्यान नहीं देता है।
व्याख्या : पवन कवि की इस प्रार्थना की उपेक्षा कर देता है कि वह धीमे-धीमे बहे और उसकी चीज़ों को हानि पहुँचा देता है। पवन बलपूर्वक बही है तथा उसने कवि की सभी पुस्तकों को ताक से नीचे फेंक दिया है तथा उनके पन्ने फाड़ दिये हैं। इसके अतिरिक्त पवन बरसात को पुनः लेकर आ गया है, तूफान के रूप में बह कर। ऐसा प्रतीत होता है कि पवन कमजोर एवं असहाय लोगों तथा वस्तुओं का बड़े चतुराई पूर्ण तरीके से मज़ाक बनाता है।
Stanza 3.
Frail crumbling houses, crumbling doors, crumbling rafters,
crumbling wood, crumbling bodies, crumbling lives,
crumbling hearts
the wind god winnows and crushes them all.
Reference : These lines have been taken from Subramania Bharti’s poem, Wind’. The poet talks about the destruction that the wind causes by blowing strongly.
Context : The poet expresses his anger at the destruction that the wind has caused to his things by blowing strongly. The poet says that the wind is unfeeling and clever at poking fun at weaklings.
Explanation : The poet says angrily that the wind god jolts and crushes very cruelly the weak and crumbling (breaking) houses, doors, rafters, wood, bodies and lives of men and animals, and their hearts. In a way, it winnows them all and then destroys them completely. The wind god seems to go on his destructive mission pitilessly.
सन्दर्भ : ये पंक्तियाँ सुब्रमनिया भारती की कविता ‘Wind’ से ली गयी हैं । कवि उस विनाश की बात करता है जो पवन जोर से बहकर कर देता है।
प्रसंग : कवि उस विनाश पर क्रोध व्यक्त करता है जिसे पवन ने जोर से बह कर उसकी वस्तुओं का किया है। कवि का कहना है कि कमजोर वस्तुओं एवं व्यक्तियों का मजाक उड़ाने में पवन बड़ा निष्ठुर एवं चतुर होता है। – व्याख्या : कवि क्रोध के साथ कहता है कि पवन देव कमजोर एवं जर्जर घरों, दरवाजों, शहतीरों, लकड़ी, शरीरों तथा मनुष्य एवं जीवधारियों की जिन्दगियों एवं उनके दिलों को बड़ी निर्दयता के साथ झकझोरता है एवं कुचल डालता है। एक प्रकार से वह इन सबको फटकता है और फिर इन्हें पूर्णतः नष्ट कर देता है। पवन देव उनकी विनाश-लीला को बड़ी निर्दयता से सम्पादित करते हुए दिखाई देते हैं।
Stanza 4.
He won’t do what you tell him.
So, come, let’s build strong homes.
Let’s joint the doors firmly.
Practise to firm the body.
Make the heart steadfast.
Do this, and the wind will be friends with us.
Reference : These lines are from Subramania Bharti’s poem ‘Wind’. The wind blows strongly and causes a lot of destruction. But the wind can be befriended despite its unfeeling and stubborn nature.
Context : The wind blows strongly and destroys the poet’s things. His request to the wind to blow softly remains unheard. The poet shows us the way to deal with the wind and make it our friend.
Explanation : The poet says that the wind is so powerful and proud that it will not hear our prayer to it to blow softly. He suggests a way to deal with the power of the wind. We can befriend the wind by becoming as powerful as the wind itself.
The poet advises us to make our houses strong with their doors firmly jointed, to make our bodies strong by exercise and to make our hearts strong and unchanging. If we do all these things, the poet says, the wind will be our friend. The poet means to say that the strong wind can be befriended only by becoming strong. Friendship is possible only between the equals.
सन्दर्भ : ये पंक्तियाँ सुब्रमनिया भारती की कविता ‘Wind’ से ली गयी हैं। पवन बड़े बल के साथ बहता है तथा बहुत सारा विनाश कर देता है । लेकिन पवन को उसके जिद्दी एवं निष्ठुर स्वभाव के बावजूद भी मित्र बनाया जा सकता है।
प्रसंग : पवन तीव्रता के साथ बहता है तथा कवि की चीज़ों को नष्ट कर डालता है। पवन से कवि द्वारा धीमे बहने की प्रार्थना भी अनसुनी रह जाती है। कवि हमें पवन से मुकाबला करने तथा उसे हमारा मित्र बनाने का उपाय दिखाता है।
व्याख्या : कवि कहता है कि पवन इतना शक्तिशाली एवं अभिमानी है कि वह धीमे-धीमे बहने की हमारी प्रार्थना को नहीं सुनता है। वह पवन की शक्ति से निपटने का मार्ग सुझाता है। हम पवन को हमारा मित्र बना सकते हैं। ऐसा हम स्वयं को पवन के समान बलवान बना कर कर सकते हैं।
कवि हमें सलाह देता है कि हम हमारे मकानों को मजबूत बनावें और उनके दरवाजों के जोड़ों को मजबूती दें, हम हमारे शरीरों को व्यायाम द्वारा मजबूत करें तथा हमारे दिलों को मजबूत एवं दृढ़ बनावें। कवि कहता है, अगर हम यह सब चीजें कर लेते हैं तो पवन हमारा मित्र बन जाएगा। कवि का तात्पर्य यह है कि बलवान पवन से मित्रता तभी संभव है जब हम स्वयं को बलवान बना लें। मित्रता समान लोगों के बीच ही संभव होती है।
Stanza 5.
The wind blows out weak fires.
He makes strong fires roar and flourish.
His friendship is good.
We praise him every day.
Reference : These are the concluding lines of Subramania Bharati’s poem, ‘Wind’. The poet talks about the destruction caused by the strongly blowing wind. He also suggests the way to befriend the wind.
Context : The wind causes a lot of destruction by blowing strongly. The poet suggests that we can deal with the wind by befriending it. This is possible if we ourselves become as strong as the wind itself.
Explanation : The poet says that the destruction caused by the wind can be avoided if we make ourselves strong in body and spirit. Similarly, we shall have to make strong houses. Once we are strong enough to face the fury of the wind, the wind will become our friend, but it will go on causing us harm if we remain weak.
The wind blows out weak fires, but makes strong fires more furious and makes them grow in volume. The wind god’s friendship is good. We worship him daily.The poet’s message here is that we should make ourselves strong, so that we may face hardships and challenges of life better. Otherwise, they will crush us.
सन्दर्भ : प्रस्तुत पंक्तियाँ सुब्रमनिया भारती की कविता ‘Wind’ की अन्तिम पंक्तियाँ हैं। कवि तेजी से बहती हुई पवन द्वारा किए जाने वाले विनाश के बारे में चर्चा करता है । वह पवन से मित्रता करने का मार्ग भी सुझाता है।
प्रसंग : पवन जोर से बहकर बहुत सारा नुकसान कर देता है। कवि सुझाव देता है कि हम पवन से मित्रता कर उससे निपट सकते हैं। यह तभी संभव है जब हम स्वयं उतने ही बलवान बन जाएँ जितना बलवान पवन है।
व्याख्या : कवि कहता है कि पवन द्वारा किए जाने वाले विनाश से तभी बचा जा सकता है जब हम स्वयं को शारीरिक एवं मानसिक रूप से बलवान बना लेते हैं। इसी प्रकार हमें मजबूत घर बनाने होंगे। एक
बार जब हम पवन के क्रोध का सामना करने हेतु पर्याप्त रूप से मजबूत बन जाएंगे तो पवन हमारा मित्र बन जाएगा, लेकिन यह हमें हानि पहुँचाता रहेगा, अगर हम कमजोर बने रहेंगे। पवन कमजोर आग को बुझा देता है किन्तु जोरदार आग को और अधिक भड़का देता है तथा उन्हें आकार में बढ़ा देता है।
पवन देव की मित्रता अच्छी होती है। हम रोज उसकी पूजा करते हैं। यहाँ कवि का संदेश यह है कि हमें स्वयं को बलवान बनाना चाहिए ताकि हम जीवन की कठिनाइयों एवं चुनौतियों का मुकाबला बेहतर ढंग से कर सकें। अन्यथा वे हमें कुचल देंगी।