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Poem 8 On the Grasshopper and Cricket

कविता के बारे में :

‘The Ant and the Cricket’ जोकि एक कहानी बताती है, की तरह नहीं होकर यह एक प्रकृति की कविता है। इसमें टिड्डा और झींगुर एक कहानी के पात्र की तरह प्रस्तुत नहीं होते बल्कि वे एक प्रतीक जैसे हैं, प्रत्येक कुछ अलग समझा रहा है। कविता पढ़ो और पता लगाओ कि कैसे ‘धरती की कविता’ सारी गर्मियों और सर्दियों में कभी न समाप्त होने वाला गीत है। यह गाना कौन गाता है?

किठिन शब्दार्थ एवं हिन्दी अनुवाद

The poetry of earth ………………….. some pleasant weed. (Page 118)

कठिन शब्दार्थ – poetry (पोइट्रि) = कविता, earth (अर्थ) = पृथ्वी, never (नेवर) = कभी नहीं, dead (डेड) = मृतक, faint (फेन्ट) = कमजोर/थकना, hide (हाइड) = छिपना, cooling (कूलिंग) = ठंडे, voice (वॉइस) = आवाज, hedge (हेज) = बाड़ा, new-mown mead (न्यू मोन मीड) = मैदान जिसकी घास हाल ही में काटी गई है, luxury (लक्सरि) = विलासप्रियता, delights (डिलाइट्स) = आनंद, tired out (टाइअर्ड आउट) = थक जाना, fun (फन) = आमोद-प्रमोद, ease (ईज) = आराम से, beneath (बिनीथ) = के नीचे, pleasant (प्लेजॅन्ट) = खुशगवार, weed (वीड) = घास-पात।

हिन्दी अनुवाद –

पृथ्वी की कविता कभी मरती नहीं है। जब सभी पक्षी गर्म सूर्य के कारण थक जाते हैं और ठंडे वृक्षों में छिपे रहते हैं तो एक बाड़े से दूसरे बाड़े तक एक आवाज नये कटे घास के मैदान के समीप होती है। वह टिड्डे की है – ग्रीष्म की विलासिता के आनंद में वह आगे रहता है – उसने अपने आनंद को कभी नहीं खोया है क्योंकि जब वह आमोद-प्रमोद से थक जाता है तो वह किसी सुहावनी घास-पात के नीचे आराम करता है। भावार्थ विपरीत परिस्थितियों से हमें पस्त नहीं होना चाहिए। टिड्डा गर्मी में भी हरी कटी घास के नीचे प्रसन्नता से रहता है जबकि अन्य पक्षी गर्मी से बेहोश होने लगते हैं।

Ine poetry of ………………… some grassy hills. (Page 118)

कठिन शब्दार्थ –

ceasing (सीसिंग) = रुकना, frost (फ्रॉस्ट) = पाला, wrought (रोट) = गढ़ दी, shrills (थिल्ज) = तेज आवाज आती है, warmth (वोम्थ) = जोश, increasing (इनक्रीसिंग) = बढ़ते हुए, ever (एवर) = हमेशा, drowsiness (ड्राउजिनॅस) = नींद में, grassy (ग्रासि) = घास वाली।

हिन्दी अनुवाद –

पृथ्वी की कविता कभी नहीं रुकती है। एक एकांत सर्द सायंकाल को जब पाला शांति गढ़ देता है (अर्थात् अत्यधिक ठंड के कारण सभी जगह गहरी खामोशी छा जाती है) तब भी वहाँ पत्थर के नीचे से झींगुर का तीक्ष्ण गीत निकलता है और जोश में निरंतर बढ़ता ही जाता है जबकि एक देखने वाले को झींगुर अर्द्ध निद्रा में खोया दिखाई देता है (परन्तु वह हमेशा जागरूक रहता है)। वह टिड्डा किसी घास वाली पहाड़ियों के बीच है। भावार्थ-पृथ्वी से आनंद कभी समाप्त नहीं होता है। अत्यधिक दु:खों के बीच भी सकारात्मक सोच वाले व्यक्ति आनंद से महरूम नहीं रहते हैं।

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