वाक्य अशुद्धियाँ एवं संशोधन

वाक्य अशुद्धियाँ एवं संशोधन वाक्य लिखते अथवा बोलते समय अकसर कई प्रकार की अशुद्धियाँ होती हैं। सामान्यतः ये अशुधियाँ उच्चारण की अशुद्धियों के कारण होते हैं। वाक्य रचना में अन्विति, पदक्रम या वाच्य संबंधी अशुधियाँ होती हैं। अन्विति संबंधी अशुधियाँ अशुद्ध शुद्ध 1. क्या तुम भोजन किया है। 2. अध्यापिका कक्षा पढ़ा रही है। 3. […]

वर्तनी

वर्तनी भारत एक अलग-अलग प्रांतीय देश है। विविध प्रांतों के लोग रहते हैं, जहाँ अलग-अलग प्रकार की भाषाओं और बोलियों का प्रयोग किया जाता है, जिसका उच्चारण भी क्षेत्रीयता के प्रभाव के कारण अलग-अलग होता है। इससे बचने के लिए उच्चारण में सावधानी बरतना आवश्यक है। वर्तनी की सामान्य अशुधियाँ और उसका निराकरण। 1. स्वर […]

वर्ण विचार 7

वर्ण विचार वर्ण – वर्ण वह ध्वनि है जिसके और खंड (टुकड़े) नहीं किए जा सकते; जैसे- अ, इ – क, चु, ख, र इत्यादि। वर्ण के भेद – वर्ण के दो भेद होते हैं- स्वर व्यंजन वर्णमाला – वर्गों के व्यवस्थित रूप को वर्णमाला कहते हैं। प्रत्येक भाषा की अपनी वर्णमाला होती है। हिंदी वर्णमाला में ग्यारह […]

वचन 7

वचन शब्द के जिस रूप से उसके एक या अनेक होने का बोध होता है, उसे वचन कहते हैं; जैसे- किताब-किताब हिंदी में वचन के निम्नलिखित दो भेद होते हैं एकवचन बहुवचन एकवचन – शब्द के जिस रूप से उसके एक होने का पता चले, वह एकवचन कहलाता है; जैसे- कपड़ा, स्त्री चाबी, पेंसिल, बकरी, कीड़ा-पत्ता, […]

लिंग 7

लिंग जो शब्द संज्ञा में विकार या परिवर्तन लाते हैं, वे विकारी तत्व कहलाते हैं। लिंग, वचन तथा कारक के कारण संज्ञा का रूप बदल जाता है। शब्द के जिस रूप से स्त्री या पुरुष जाति का बोध हो, वह लिंग कहलाता है। स्त्री तथा पुरुष जाति का बोध कराने के आधार पर लिंग के […]

मुहावरे एवं लोकोक्तियाँ

मुहावरे एवं लोकोक्तियाँ जो वाक्यांश अपने सामान्य अर्थ को छोड़कर किसी विशेष अर्थ को प्रकट करता है, वह मुहावरा कहलाता है। हिंदी भाषा में मुहावरों का प्रयोग भाषा को सुंदर, प्रभावशाली, संक्षिप्त तथा सरल बनाने के लिए किया जाता है। वे वाक्यांश होते हैं। इनका प्रयोग करते समय इनका शाब्दिक अर्थ न लेकर विशेष अर्थ […]

भाषा और व्याकरण

भाषा और व्याकरण ‘भाषा’ शब्द भाष धातु से बना है, जिसका अर्थ है- बोलना। मनुष्य जिन ध्वनियों को बोलकर अपनी बात कहता है- उसे भाषा कहते हैं। अतः हम भाषा की परिभाषा इस प्रकार से दे सकते हैं अपने मन के भावों और विचारों को बोलकर, लिखकर या पढ़कर प्रकट करने के साधन को ‘भाषा’ […]

क्रिया

क्रिया जिन शब्दों से किसी काम को करना या होना पाया जाए, उन्हें क्रिया कहते हैं; जैसे- लिखना, नाचना, खाना, गाना, पढ़ना, रोना, हँसना इत्यादि क्रिया है। कर्ता – काम करने वाला कर्ता कहलाता है। जैसे-अंशु नाचने लगी। इस वाक्य में नाचने का कार्य अंशु द्वारा किया जा रहा है। अतः यहाँ अंशु कर्ता है। धातु […]

काल

काल क्रिया के जिस रूप से उसके होने के समय का बोध हो, उसे काल कहते है; जैसे- नेहा पढ़ रही थी। (बीता हुआ समय) नेहा पढ़ रही है। (वर्तमान समय) नेहा पढ़ेगी। (आने वाला समय) इस आधार पर काल के तीन भेद होते हैं भूतकाल वर्तमान काल भविष्यत काल 1. भूतकाल – क्रिया के जिस […]

कारक

कारक संज्ञा या सर्वनाम के जिस रूप से उसका संबंध वाक्य में आए अन्य सभी शब्दों से जाना जाए, उसे कारक कहा जाता है। कारक को प्रकट करने के लिए संज्ञा या सर्वनाम के साथ जो चिह्न लगाए जाते हैं, उन्हें विभक्ति चिहन या परसर्ग कहते हैं। ‘पर’ का अर्थ है बाद। कारक चिह्न संज्ञा […]

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