समयलेखनम् 8

समयलेखनम् ‘भवतः घटिकायां कः समयः?’ अथवा ‘भवतः घटिकायां किं वादनम्?’ ऐसे प्रश्नों का उत्तर हम हिन्दी अथवा अंग्रेजी भाषा में आसानी से दे पाते हैं। यदि हमें उत्तर संस्कृत में देना हो तो हमें कठिनाई महसूस होती है। इसके लिए संस्कृत भाषा में भी समय का ज्ञान होना आवश्यक है।...

समास-प्रकरणम् 8

समास-प्रकरणम् समास – ‘संक्षिप्तीकरणम् एव समासः भवति’ अर्थात् समास शब्द का अर्थ संक्षेप होता है। जहाँ दो या दो से अधिक पद अपने कारक (विभक्ति) चिह्नों को छोड़कर एक हो जाएँ, उन्हें समास कहते हैं। समास के कारण जो नया पद बनता है उसे समस्तपद कहते हैं। जैसे- नृपस्य सेवकः =...

सर्वनाम-प्रकरणम्

सर्वनाम-प्रकरणम् सर्वनाम – ये शब्दाः संज्ञापदानां स्थाने प्रयुज्यन्ते ते सर्वनामशब्दाः भवन्ति। (जो शब्द संज्ञा के स्थान पर प्रयुक्त होते हैं, उन्हें सर्वनाम कहते हैं) जैसे- रामः-सः, सीता-सा। संस्कृत में सर्वनाम शब्दों के रूप तीनों लिंगों तथा वचनों में होते हैं।...

सन्धि-प्रकरणम्

सन्धि-प्रकरणम् सन्धि – अत्यन्त समीपवर्ती दो वर्गों के मेल से जो परिवर्तन अथवा विकार आता है, उसे सन्धि कहते हैं (परः सन्निकर्षः संहिता) हिमालयः = हिम + आलयः। इस उदाहरण में अ + आ इन वर्गों का मेल होकर आ रूप बना। इसे ही सन्धि कहते हैं। सन्धि तीन प्रकार की है-स्वर सन्धि,...

संख्यावाचक-विशेषणपदानि 8

संख्यावाचक-विशेषणपदानि (क) एक से दस तक सभी विभक्तियों के रूप पुँल्लिङ्ग, स्त्रीलिङ्ग तथा नपुंसकलिङ्ग में एक से चार तक पृथक्-पृथक् रूप होते हैं। यथा एक के रूप एकवचन में, द्वि के द्विवचन में तथा त्रि, चतुर आदि के रूप बहुवचन में होते हैं। (ख) ग्यारह से बीस तक संख्यावाचक...
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